- सिटी में साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी में मिले सात ट्रैफिक सिग्नल
- सिग्नलों के सिंक्रोनाइज न होने से एक सिग्नल पार होते ही दूसरा हो जाता है रेड
- 3.4 किलोमीटर की दूरी 32 मिनट में हो रही पूरी
- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने ट्रैफिक सिग्नल के कारण लगने वाले समय का चेक किया मेजरमेंट
PRAYAGRAJ: शहर में अपने गंतव्य तक जाना है और जगह-जगह रुकना पड़े तो टेंशन होगी। इसके लिए लगने वाला जाम तो एक कारण है ही दूसरा चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम का सिंक्रोनाइज न होना भी है। ट्रैफिक सिग्नल का कोई मानक तय नहीं है। सिग्नल पुराने ढर्रे पर चल रहा है। इस बात की पड़ताल के लिए शनिवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रिपोर्टर ने एक रोड फिक्स कर ट्रैफिक सिग्नल व दूरी के साथ लगने वाले समय का मेजरमेंट किया। जिसमें 3.4 किलोमीटर की दूरी का सफर तय करने में 32 मिनट पूरा लग गया। इस दूरी को तय करने के दौरान कुल सात ट्रैफिक सिग्नल मिले। हर एक चौराहे पर ग्रीन सिग्नल मिलते ही कुछ कदम की दूरी पर दूसरे चौराहे पर रेड सिग्नल मिला।
एक चौराहे पर ग्रीन तो दूसरा भी होना चाहिए ग्रीन
ट्रैफिक सिग्नल को ऑपरेट करने वाले एक्सपर्ट बताते हैं कि इस तकनीक की विशेषता है कि एक चौराहे पर ग्रीन सिग्नल हुआ तो आगे के सभी चौराहे ग्रीन ही मिलेंगे। सूत्रों की माने तो सिटी में सालभर से सिग्नल की टाइमिंग की समीक्षा नहीं हुई। जबकि, बड़े शहरों में हर दो महीने पर सिग्नल की टाइमिंग में जरूरत के अनुसार फेरबदल किया जाता है। जिले के अंदर ऐसे पुलिस अफसर हैं जो लम्बे समय से तैनात हैं। बावजूद ट्रैफिक सिग्नल की इस खामी को दूर नहीं किया जा सका।
सांसद भी उठा चुकी हैं मुद्दा
ट्रैफिक सिग्नलों के सिंक्रोनाइज न होने से लगने वाले जाम के मुद्दे को बीते सोमवार को सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में सांसद केशरी देवी पटेल ने उठाया था। उन्होंने कहा था कि बदलाव पर विचार किया जाना चाहिए। बैठक में मौजूद एसपी ट्रैफिक ने आश्वासन भी दिया था।
इस पर भी करें गौर
सिग्नल पर वाहन चालकों को 30 से 90 सेकंड तक रुकना ही पड़ता है। सिग्नल के इंतजार में महीने में एक वाहन का न्यूनतम एक लीटर डीजल-पेट्रोल खर्च होता है। यदि ईंधन की औसत कीमत 76 रुपए लीटर माने, तो छह लाख वाहनों का आंकड़ा 4.56 करोड़ रुपए होता है। एक भी ट्रैफिक सिग्नल सिंक्रोनाइज्ड नहीं हैं। जबकि, स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल आपस में जुड़े रहते हैं।
केस- एक
बालसन से एकलव्य चौराहा का मेजरमेंट
3:30 बजे
बजे रिपोर्टर ने बालसन से चलाना शुरू किया कार से
0.5
किलोमीटर पर इंडियन प्रेस चौराहे पर मिला ट्रैफिक सिग्नल
1.0
किलोमीटर पर हिन्दू हास्टल चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल
1.7
किलोमीटर पर म्योहॉल चौराहे पर मिला ट्रैफिक सिग्नल
2.2
किलोमीटर पर धोबी घाट पर मिला ट्रैफिक सिग्नल
2.4
किलोमीटर पर महावीर चौराहा पर मिला ट्रैफिक सिग्नल
3.4
किलोमीटर पर एकलव्य चौराहा पर मिला ट्रैफिक सिग्नल
4:02
पर पहुंचे मंजिल तक
केस दो
90
सेकंड वाला मिला बालसन, धोबी घाट और एकलव्य चौराहा
30
सेकंड इन चौराहों से गुजरने को रहता है ग्रीन सिग्नल
60
सेकंड बाकि के छोटे चौराहों पर सेट है टाइमिंग
20
सेकंड इन चौराहों पर सिर्फ रहता है ग्रीन सिग्नल