प्रयागराज (ब्यूरो)। इस मैसेज को पास करने में सबसे ज्यादा किशोर और युवा अधिक सक्रिय थे। घंटाघर से लेकर करेली के आसपास तक चाय की दुकानों, पान मसाले की दुकानों सहित रेस्टोरेंट व होटलों पर जुटने वाली भीड़ में यह मैसेज तेजी से पास किया जा रहा था। 15 साल के किशोर से लेकर 25 साल तक के युवा बार-बार एक दूसरे को याद दिला रहे थे। जब शक होने पर दुकानदार इसके बारे में पूछते तो इसे टाल दिया जाता था। हालांकि पुलिस अब इस मामले को परत दर परत खोलने में लगी है। कई आरोपी भी उसकी पकड़ में आ चुके हैं। फिर भी मुंह जुबानी से लेकर मोबाइल के जरिए इस मैसेज को इतनी सफाई से फैलाया गया कि सुरक्षा एजेंसियों के शक को यकीन में बदलने में टाइम लग गया।
मार्केट देखकर हुआ शक
चौक के दुकानदारों का कहना है कि जुमे वाले दिन सुबह से ही एक खास समुदाय की तमाम दुकानें बंद थीं। इसको देखकर शक भी हुआ कि कोई अनहोनी हो सकती है। घटना के बाद पता चला कि विशेष समुदाय की दुकानों को बहुत सफाई के साथ शुक्रवार को बंद रखे जाने का मैसेज दिया गया था। जिससे पथराव हो तो उनका नुकसान न होने पाए।
प्रशासन था चौकन्ना
हालांकि इस पूरी साजिश की भनक पुलिस और प्रशासन को लगभग लग चुकी थी। यही कारण था कि अटाला एरिया के आसपास भारी संख्या में सुबह से फोर्स को तैनात किया गया था। जिसके चलते जुलूस की शक्ल में आए पत्थरबाज अटाला की गलियों से आगे नही निकल पाए। वरना अपनी पूरी तैयारी के साथ यह हुजूम चौक तक पहुंच पाता तो बवाल बड़ा हो सकता था और निर्दोष दुकानदारों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ता। पुलिस को काबू करने में खासी मशक्कत भी करनी पड़ सकती थी।