सर्दी आते ही शुरू हो गई उल्टी-दस्त की समस्या
बच्चे प्रभावित, डॉक्टर दे रहे सावधानी बरतने की सलाह
ALLAHABAD: ठंड का आगाज होते ही मासूमों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। वह निमोनिया और कोल्ड डायरिया की चपेट में आने लगे हैं। हॉस्पिटल में पहुंचने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों में तीस फीसदी इस बीमारियों से ग्रसित हैं। लगातार उल्टी-दस्त होने से कई बच्चों की हालत अधिक खराब हो चुकी है। इनके इलाज में डॉक्टरों को भी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। उनका कहना है कि घटते-बढ़ते तापमान में होशियार रहने की जरूरत है। बच्चों को इंफेक्शन से बचाना भी जरूरी है।
चपेट में आ गए मासूम
ठंडा-गर्म मौसम बच्चों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है। इस मौसम में 40 प्रतिशत बच्चे इसके शिकार हैं। हर दस में से तीन बच्चे इस रोग के शिकार हो रहे हैं। इसका मात्र एक कारण यह है कि सर्द मौसम में बच्चों के सीने पर ज्यादा ठंड लगती है। इस वजह से उन्हें खांसी, बुखार, उल्टी-दस्त होती रहती है। कभी कभार बुखार की वजह से बच्चों की सांस भी फूलने लगती है। इस लिए इस मौसम में बच्चों को सर्दी से विशेष बचाने की जरूरत है। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल पहुंची चार साल की प्रिया, तीन साल के विराज, एक साल के गोलू इस रोग से पीडि़त नजर आए। डॉक्टरों ने पैरेंट्स को बच्चों को ठंड से बचाने की सलाह दी है।
लक्षण
खांसी के साथ पसलियां चलने और सांस लेने में दिक्कत होती है।
बच्चा मां का दूध नही पचा पाता और बार-बार उसे उल्टी होती है।
दस्त होने से बच्चे का बदन पीला पड़ जाता है और अचेत अवस्था में चला जाता है।
बच्चा लगातार रोता है और तेज बुखार से ग्रसित हो जाता है।
सांस लेने में सीने में सरसराहट रहती है और बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है।
बचाव
ठंड के इस मौसम में बच्चों को ढीले कपड़े पहनाएं।
बुखार आने पर तत्काल पैरासिटामाल का सिरप दें और कोल्ड स्पेजिंग (पानी की पट्टी) करें।
डायरिया है तो ओआरएस का घोल पिलाएं। तबीयत में सुधार न हो तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चों को मां का दूध पीने दें। इससे उसके स्वास्थ्य में सुधार होता है।
मार्केट में डायरिया का टीका उपलब्ध है, इसे बच्चों को जरूर लगवाएं।
मौसम बदल रहा है। ऐसे में बच्चों को संभालकर रखना होगा। उन्हें पूरे बदन के ठंडे कपड़े पहनाने होंगे। जरा सी लापरवाही महंगी पड़ सकती है। बच्चों को सभी तरह के टीके समय से लगवाना भी बेहद जरूरी है।
डॉ। मनीष राज चौरसिया, चाइल्ड स्पेशलिस्ट
इस मौसम में बच्चों को निमोनिया के चांसेज भी होते हैं। उन्हें सांस लेने में दिक्क्त होती है। पंखा कतई न चलाएं और बच्चों का सीना ढंककर रखें। उन्हें सबसे अधिक ठंड सीने में ही लगती है।
डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट स्पेशलिस्ट