प्रयागराज ब्यूरो । एग्जाम्पल वन- कीडगंज से आई लक्ष्मी देवी के नाती के पेट में सूजन की शिकायत है। उन्होंने बताया कि ठंड की वजह से दिक्कत हुई है। यहां उसे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। अब उसे आराम है.
एग्जाम्पल दो- प्रतापगढ़ के रहने वाले मिथुन कुमार अपने ढाई साल के बच्चे को लेकर चिल्ड्रेन अस्पताल के क्रिटिकल केयर वार्ड में भर्ती है। उसे निमोनिया हो गया है। इससे उसका गला जकड़ गया है।
एग्जाम्पल तीन- झलवा के रहने वाली पूजा का 3.5 माह का बेटा डबल निमोनिया का शिकार है। उसको सांस लेने में दिक्कत है। उसे क्रिटिकल केयर वार्ड में भर्ती किया गया है। उसे सपोर्टिंग सिस्टम पर रखकर इलाज किया जा रहा है।
- चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के तमाम वार्डों में भर्ती हैं ठंड के मरीज
- सांस की बीमारी से परेशान हैं बच्चे, निमोनिया से हैं परेशान
डिस्चार्ज से ज्यादा हो रहे एडमिशन
इस समय शहर को गलन के साथ कोहरे ने आगोश में ले रखा है। तापमान भी काफी नीचे चल रहा है। ऐसे में चिल्ड्रेन अस्पताल में रोजाना 15 से 25 पांच साल से कम उम्र के बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं। जबकि ठीक होने वाले बच्चों की संख्या कम है। ऐसे में 120 बेड वाला यह हॉस्पिटल हाउसफुल हो चुका है। डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक तापमान सामान्य स्थिति में नही पहुंचेगा, बच्चों पर कहर बरपाता रहेगा.
तीन से चार दिन में सीरियस हो गया बच्चा
परिजनों का कहना है कि महज तीन से चार दिन में उनका बच्चा सीरियस हो गया। प्रतापगढ़ के मिथुन ने बताया कि शुरुआत में बच्चे को खांसी आ रही थी। हमने इलाज शुरू करा दिया लेकिन देखते ही देखते बच्चा सीरियस हो गया। उसका गला अकड़ गया। उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। तब डॉक्टर ने बच्चे को यहां रेफर कर दिया। झलवा की पूजा ने बताया कि बच्चे को डबल निमोनिया हुआ है। ठंड की वजह से वह बेसुध हो गया है। अभी उसकी स्थिति सामान्य नही है इसलिए क्रिटिकल केयर वार्ड में रखा गया है.
इन कारणों से बीमार हो रहे बच्चे
बच्चों में रेस्परेटरी सिस्टम का इंफेक्टेड हो जाना बीमारी का प्रमुख कारण बना हुआ है। साफ सफाई पर ध्यान नही देने और प्रॉपर टीकाकरण नही करवाने से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। इसके अलावा भीषण ठंड में कुपोषण, खानपान में कमी, मां का दूध न मिल पाना, कमजोर इम्युनिटी की वजह से भी बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि शुरुआती लक्षणों पर ध्यान नही देने से बच्चों के फेफड़ों में संक्रमण और फ्लूड भर जाना आम बात है। इससे वह सीवियर निमोनिया का शिकार हो जाता है। कई मामले ऐसे भी आए जब झोलाछाप डॉक्टरों ने केस बिगाडऩे के बाद रेफर किया।
इन लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी
- बुखार, खांसी, सांस फूलना, खाना बंद कर देना
बीमारी से बचाना है तो फॉलो करें
- बच्चों का नियमित टीकाकरण जरूरी
- डीपीटी, एचएन इन्फ्लुएंजी बी, बीसीजी, मीजल्स आदि के टीके बच्चों को निमोनिया आदि फेफड़ों की बीमारी से बचाते हैं
- नीमोकोकल वैक्सीन से मिलते हैं कई फायदे
- छह माह तक मां का दूध पिलाएं
- इसके बाद पोष्टिक आहार देकर कुपोषण से बचाना जरूरी
- गर्म जगह पर बच्चे को रखें
- नवजात शिशुओं को हाइपोथर्मिया से बचाना जरूरी
ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या- 100-150
भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या- 15-25
सीवियर एनीमिया के मरीज- औसतन 6
कुल बेडों की संख्या- 120
वर्जन
ठंड के सीजन में सीवियर निमोनिया के बच्चे अधिक आ रहे हैं। उनका रेस्परेटरी सिस्टम इंफेक्टेड या वीक होने से वह बीमार हो रहे हैं। कई बार देखने में आता है कि पैरेंट्स लापरवाही करते हैं या फिर झोलाछाप के पास जाकर उचित इलाज नही कराते। इससे बच्चे सीरियस हो जाते हैं।
डॉ। मुकेश वीर सिंह, एचओडी, चिल्ड्रेन अस्पताल प्रयागराज