प्रयागराज (ब्यूरो)। त्यागपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए अल्लाह की इबादत में लीन है मुस्लिम समुदाय के लोग। माहे रमजान में कुरान की तिलावत करके नेकी के रास्ते पर चलने का संकल्प ले रहे हैं। इसके बीच हजरत अली की शहादत की स्मृति में शिया मुस्लिम गम मना रहे हैं। तीन दिवसीय गम के अंतिम दिन गुरुवार की रात ताबूत जुलूस निकाला जाएगा। अंजुमन गूंचा-ए-कासिमिया व मोमनीन इलाहाबाद की ओर से माहे रमजान के 21वें रोजा पर गुरुवार की भोर में मस्जिद काजी साहब व उसके आस-पास की लाइटों को बुझाकर मोमबत्ती की रोशनी में हजरत अली इब्ने अबुतालिब का ताबूत निकाला जायगा।
मजलिस को खिताब करेंगे हैदर रिजवी
अंजुमन गुंचा-ए-कासिमिया के प्रवक्ता मो। अस्करी के अनुसार सुबह 4.45 बजे मौलाना जवादुल हैदर रि•ावी नमाज ए फजिर बाजमात अदा कराएंगे। इसके बाद लाइट बंद करके मजलिस शुरू होगी। उसे मौलाना रजी हैदर रिजवी खिताब करेंगे। इसके बाद मजलिस शबीहे ताबूत मौला ए कायनात ह•ारत अमीरुल मोमेनीन को नौजवान कांधा देकर मस्जिद में गश्त कराने के उपरांत मस्जिद के बाहर गलियों में भ्रमण कराया जाएगा। दूसरा जुलूस सुबह 5.45 बजे रानीमंडी स्थित इमामबाड़ा आजम हुसैन से निकलेगा। जो रानीमंडी, बच्चा जी धर्मशाला, चड्ढा रोड, कोतवाली होते हुए चकिया स्थित शिया बड़ी करबला तक जाएगा। जुलूस से पहले काजिम अब्बास सोजख्वानी करेंगे। मौलाना •ाीशान हैदर मजलिस को खिताब करेंगे।
तीसरा असरा हो चुका है शुरू
बैतूल मारीफ के मुफ्ती मकसूद अहमद काज़मी बताते हैैं कि रमजान में तीसरे असरा में जहन्नुम की आग से सुरक्षित हो सकते हैैं। इसमें आपको तराबीह, नमाज और फितरा से स्वयं को गुनाह से बचा सकते हैैं। इस असरेे में पाक होकर जहन्नुम से दूर हो सकते हैैं। 20वें रोजे मेें मगरिब के बाद से रमजान का तीसरा असरा शुरु हो गया है। रमज़ान के तीसरे असरे में फितरा और जकात जरूर निकालना चाहिए। इसे गरीबों तक पहुंचावें ताकि वे भी अपनी ईंद को खुशी के साथ मना सकें।