प्रयागराज ब्यूरो । उनका कहना था कि अधिकारी पुलिस के साथ आते थे और डरा-धमकाकर दबंग लोगों को भूमि पर कब्जा कराते थे। वह लोग अपने भूमि संबंधी विवाद को लेकर जब भी थाने जाते थे तो वहां से उन्हें डांटकर भगा दिया जाता था। लोगों का कहना था कि मोहिद्दीनपुर गांव में दो साल से चकबंदी की प्रक्रिया चल रही है। ग्राम सभा की लगभग 54 बीघा भूमि है। इसमें से पंडा चौराहा के समीप लगभग 20 बीघा भूमि है। इस भूमि पर लोगों की नजर लगी है। तमाम लोग अवैध रूप से काबिज हैं। मृतक होरीलाल के बेटे, बेटी सूरजकली और भाई मुन्नी लाल ने आरोप लगाया कि चकबंदी अधिकारी एवं पुलिस से सांठगांठ करके विपक्षी उनकी भूमि पर भी कब्जा करना चाहते थे। इसके लिए दबाव बनाया जाता था। जब उन्होंने अपनी भूमि देने से मना कर दिया तो विपक्षियों ने रात में सोते समय तीनों लोगों की हत्या कर दी। यह भी आरोप लगाया कि औने-पौने दाम पर भूमि बिकवा दी जाती है। मामले में चकबंदी अधिकारी चायल मिथलेश कुमार का कहना है कि लालचंद को पट्टा मिला था। शिवचरन की पत्नी बृजकली ने उससे जनवरी 2022 में एग्रीमेंट किया था। चकबंदी वहां से बाहर हो रही है। उन्होंने आरोप को निराधार बताया। कहा कि जब किसी के द्वारा भूमि के कब्जा किए जाने की जानकारी होती थी तो पुलिस के साथ जाकर उसे रुकवा दिया जाता था। 12 सितंबर को भी वहां भूमि कब्जा को जाकर रुकवाया गया था।
जांच को तीन सदस्यीय कमेटी गठित
डीएम सुजीत कुमार ने बताया कि पीडि़त परिवार द्वारा भूमि संबंधी विवाद की शिकायत तहसील दिवस में की गई थी। उसके बाद राजस्व टीम ने मौके की जांच की थी। रिपोर्ट में कब्जा पीडि़त परिवार का ही बताया गया था। दोनों पक्षों का सिविल कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। अंतिम निर्णय वहीं से होना है। पूछे जाने पर कि पीडि़त परिवार द्वारा चकबंदी अधिकारी और सहायक चकबंदी अधिकारी पर भूमि कब्जा कराने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में डीएम का कहना था कि हां, यह बात सामने आई कि राजस्व टीम की रिपोर्ट देने के बाद चकबंदी अधिकारियों द्वारा भूमि की पैमाइश कराई गई, जो गलत है। इसकी जांच के लिए एडीएम न्यायिक की अध्यक्षता में एसडीएम चायल और एसओसी की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी चकबंदी अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगी।