भतीजे का नहीं हुआ चयन तो विरोध में उतर आये
सीएमपी पीजी कॉलेज के प्राचार्य ने खुद को बताया पाक साफ
ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एफीलिएटेड सीएमपी पीजी कॉलेज में शिक्षक भर्ती में चहेतों के चयन के आरोप के आरोप को प्राचार्य डॉ। आनंद शंकर ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। मीडिया को भेजी गई सफाई में उन्होंने आरोपों को खारिज करने का आधार प्वाइंटवाइज बताया है। उन्होंने प्रो। ऋषिकांत पांडेय के आरोपों को झूठ का पुलिंदा करार दिया है। कहा कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फिलासफी डिपार्टमेंट के कई वरिष्ठ शिक्षकों से जुड़े लोगों का चयन नहीं हुआ है। इसलिये आरोप लगाया गया है।
उन्होंने सीएमपी शाषी निकाय से सेलेक्शन का विरोध कर रहे तीन सदस्यों में दो के बारे में कहा कि इनमें एक की बेटी का एलएलबी में एडमिशन नहीं हुआ। वह आज भी एडमिशन के लिये उनके पास दौड़ रहे हैं। डॉ। आनंद ने कहा कि उन्होंने न गलत किया है न किसी को गलत करने देंगे। इसलिये उनका विरोध किया जा रहा है। आरोप लगाने वाले शाषी निकाय के दूसरे सदस्य के बारे में कहा कि वे (डॉ। आनंद) आरएसएस से जुड़े हैं। चाहते थे कि वे उनकी मदद सरकारी वकील बनने में करें। प्राचार्य डॉ। आनंद ने कहा कि उनकी डिमांड को फुलफिल कर पाना उनके लिये पॉसिबल ही नहीं था।
स्क्रीनिंग मेंबर्स से कोई टच नहीं
महाविद्यालय में 21 विभागों में असिस्टेण्ट प्रोफेसर के कुल 151 विज्ञापित किया गया।
आवेदन प्रक्रिया ऑनलाईन एवं पारदर्शी तरीके से सम्पन्न हुई।
इविवि के संशोधित अध्यादेश के अनुसार तीन सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी ने आवेदनों की स्क्रीनिंग की।
स्क्रीनिंग कमेटी में डीन कालेज डेवलेपमेंट, विवि के सम्बन्धित विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्राचार्य (संयोजक) होते हैं।
विषय विशेषज्ञ के रूप में विभागाध्यक्ष इविवि द्वारा आवेदनों की स्क्रीनिंग की गई।
एकेडिमिक, शोध तथा प्रकाशन इत्यादि के अंकों को जांचा गया।
प्रो। ऋषिकान्त पाण्डेय द्वारा लगाया गया आरोप कि अंकों को सही तरीके से नहीं दिया गया, पूर्णत: हास्यास्पद है
स्क्रीनिंग उनके द्वारा ही की गई थी। डीन एवं प्राचार्य सम्बन्धित विषय के विशेषज्ञ नहीं होते।
रेग्यूलेशन से सेलेक्शन कमेटी
इविवि अध्यादेश 9 फरवरी 2008 को लागू हुआ।
यूजीसी द्वारा विनियमन 2010, 18 सितम्बर 2010 को गजट में प्रकाशित किया गया।
इविवि कार्य-परिषद द्वारा 2012 में ही यूजीसी रेग्यूलेशन को स्वीकार कर लिया गया
अत: चयन समिति का गठन रेग्यूलेशन के अनुसार ही होगा, न कि अध्यादेश के अनुसार।
अध्यादेश में ही यह व्यवस्था है कि समय-समय पर यूजीसी द्वारा जारी रेग्यूलेशन लागू होंगे।
यूजीसी विनियम 2010 के क्लाज 5 के अनुसार विवि के विभागाध्यक्ष को ही कुलपति द्वारा नामित किया जाना अनिवार्य नहीं है।
14 दिन के अन्तर पर हुआ साक्षात्कार
स्क्रीनिंग की प्रक्रिया 10 अक्टूबर 2017 को प्रारम्भ हो गयी थी
स्क्रीनिंग के बाद 14 दिन का अन्तराल देकर साक्षात्कार पत्र भेजे गये।
इविवि की छंटनी की नियमावली और विषय विशेषज्ञों की प्रभावी सूची के अनुरूप ही साक्षात्कार हुआ
आवेदन गवर्निग बॉडी में जाना जरूरी नहीं
प्राचार्य पद पर पुनर्नियुक्ति को लेकर भी भ्रान्तियां हैं।
प्राचार्य के आवेदन पत्र को अध्यक्ष शासी निकाय द्वारा सीधे कुलपति कार्यालय को प्रेषित कर दिया गया था।
कुलपति ने एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया। जिसकी रिपोर्ट कार्य परिषद की बैठक 28 अक्टूबर में रखी गयी।
कार्य परिषद ने यूजीसी के आदेशों के अनुरूप प्राचार्य डॉ। आनन्द कुमार श्रीवास्तव को 05 वर्ष के लिये पुनर्नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित किया
उसके अनन्तर शासी निकाय को रिपोर्ट किया गया