प्रयागराज (ब्यूरो)। मुख्यमंत्री ने कहा कि डेढ़ सौ वर्ष किसी भी संस्था के लिए अत्यंत मूल्यवान एवं गौरवशाली होते हैं। इसे बरकरार रखते हुए केपी ट्रस्ट ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है लेकिन, इसे नए कलेवर के रूप में आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कायस्थ समाज के महापुरुषों का गुणगान करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने 1893 में वैश्विक मंच पर जाकर भारत की वैदिक परंपरा को रखा था। इससे भारत के प्रति दुनिया में जो भ्रांतियां थीं, वह दूर हुईं। उन्होंने देश की संस्कृति को पहचान दिलाई थी। उनके मत का कोई आज तक खंडन नहीं कर पाया।
कल्पवासी के रूप में आते थे प्रथम राष्ट्रपति
सीएम ने संस्थापक मुंशी काली प्रसाद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि डेढ़ सौ साल पहले जिन्होंने यह परिकल्पना की कि पूरी संपत्ति परिवार व रिश्तेदार को न देकर लोक कल्याण के लिए समर्पित करना है। साच् बच्चों से शुरू यह ट्रस्ट वटवृक्ष बना गया जो आदर्श का उदाहरण है।
सीएम ने बढ़ाया तीन करोड़ चित्रांशों का मान
अध्यक्षता कर रहे ट्रस्ट के अध्यक्ष चौधरी जितेंद्र नाथ ङ्क्षसह ने कहा कि सीएम ने ट्रस्ट का आतिथ्य स्वीकार कर देश भर के करीब तीन करोड़ चित्रांशों का मान बढ़ाया है। इस अवसर पर विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष चौधरी राघवेंद्र नाथ ङ्क्षसह, महामंत्री एसडी कौटिल्य, महामंडलेश्वर कल्याणी गिरि, वैष्णवी नंद गिरि, पूर्व महापौर डा। केपी श्रीवास्तव, अनिल कुमार श्रीवास्तव, जीपी श्रीवास्तव, अपर अधिवक्ता विनोद प्रकाश श्रीवास्तव, कुलदीप नारायण श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।
कुछ कर लो, हमारी हस्ती मिटती नहीं हमारी
इसके पूर्व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ ङ्क्षसह ने अपने संबोधन की शुरुआत कुछ कर लो कि हमारी हस्ती मिटती नहीं से की। कहा कि कायस्थ किसी भी कोने में जाते हैं अपनी पहचान छोड़ जाते हैं। कहा कि बाबरी मस्जिद गिरी तो डीएम चित्रांश आरएस श्रीवास्तव थे। उन्होंने कहा कि कायस्थ समाज में एकता आ गई तो बड़ी से बड़ी ताकत हमें नहीं हिला पाएगी।