प्रयागराज ब्यूरो । बुधवार को प्रयागराज का सिविल लाइंस एरिया शहर में सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा। यहां वायू प्रदूषण के चलते एयर क्वालिटी इंडेक्स का ग्राफ बढ़ा हुआ नजर आया। रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को एरिया की वाह सांस लेने योग्य नही थी। खासकर स्वस्थ लोगों को भी यह नुकसान पहुंचा सकती थी। ऐसे में हेल्थ एक्सपट्र्स ने लोगों को मास्क लगाकर निकलने की सलाह दी है।

कई घंटे रहे तो हो जाएंगे बीमार

पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से शहर में तीन जगह पर पाल्यूशन मापक यंत्र लगाए गए हैं। यह झूंसी, सिविल लाइंस और तेलियरगंज में स्थित हैं। बुधवार की शाम चार बजे की रिपोर्ट बताती है कि शहर का सिविल लाइंस एरिया सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा। इतना अधिक प्रदूषित कि इसके एयर क्वालिटी इंडेक्स के वेरी पुवर श्रेणी में रखा जाएगा। इसका मतलब कि अगर कोई कई घंटे तक सिविल लाइंस एरिया में रुका तो उसे तमाम तरह की संक्रामक बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा उसके फेफड़ों पर भी असर पड़ सकता है।

330 पहुंच गया एक्यूआई

सिविल लाइंस का एयर क्वालिटी इंडेक्स अचानक नही खराब हुआ है। पिछले एक सप्ताह से लगातार पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट में तेलियरगंज, झूंसी के मुकाबले सिविल लाइंस की हवा का स्तर बिगड़ा हुआ था। लेकिन बुधवार को एरिया के एक्यूआई ने 330 पर पहुंचकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। इसका सबसे बड़ा कारण एरिया में वाहनों की अधिकता और उड़ती धूल को बताया जा रहा है। इसके अलावा सिविल लाइंस में चल रहे निर्माण कार्यों बिना ढके रखना भी सेहत के लिए घातक साबित हो रहा है। हालांकि झूंसी में एयर क्वालिटी इंडेक्स 135 (माडरेट) और तेलियरगंज का 80 (नार्मल) दर्ज किया गया है। बता दें कि शहर में इस समय आठ लाख वाहन मौजूद हैं जो दिन भर सड़कों पर चौकड़ी भरते नजर आते हैं।

इन तत्वों के बढऩे से खराब होता है एक्यूआई

एयर क्वालिटी इंडेक्स हवा में आठ तत्वों की मौजूदगी से तय होता है। इनमें पीएम 2.5, पीएम 10, नाइट्रोजन मोनो-आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, ओजोन, कार्बन मोनो-आक्साइड, अमोनिया और लेड शामिल हैं। इनमें सबसे खतरनाक पीएम 2.5 होता है, जो कि इंसान के बालों से 30 गुना महीन होता है। ये लंग कैंसर, अस्थमा और सांस की दूसरी बीमारियों की वजह बनता है। वायुमंडल में पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक होनी चाहिए।

वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान

- स्किन रोग

- बाल का झडऩा

- श्वास रोग

- अस्थमा

- सर्दी, जुकाम और बुखार

- लंग्स कैंसर

वायु प्रदूषण के जिम्मेदार विभागों को कई बार पत्र भेजा गया है मगर वे गंभीर नहीं हैं। अब नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है। खासतौर पर रात में ट्रैक्टर ट्राली से मिट्टी की ढुलाई व बिना ढके भवनों के निर्माण से हवा में धूल के कण ज्यादा फैलते हैं।

आरके ङ्क्षसह, क्षेत्रीय अधिकारी

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

एयर पाल्यूशन बढऩे से लोगों की सांस की बीमारी हो सकती है। इसके अलावा तमाम शारीरिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अस्थमा के मामलों के बढऩे का सबसे बड़ा कारण धूल के कण और वाहनों का धुआं है।

डॉ। आशुतोष गुप्ता, श्वास रोग विशेषज्ञ