प्रयागराज (ब्‍यूरो)। धान की कटाई होने के बाद निकलने वाली पराली को किसान इस सीजन में जलाते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने नई योजना चलाई थी। जिसमें किसानों को दो ट्राली पराली देने के बदले एक ट्राली गोबर खाद दी जानी है। लेकिन एग्रीकल्चर विभाग के अधिकारी बताते हैं कि किसान इसमें दिलचस्पी नही ले रहे। यमुनापार और कौडि़हार के गिनती के ही किसानों ने आवेदन किया है। मेजर लेवल पर इसका रिस्पांस अभी सामने नहीं आया है।
रोजाना आती है जलाने की सूचना
अधिकारियों का कहना है कि पुवाल जलाने की सूचना अक्सर मिलती है। आन द स्पॉट किसी को पकड़ा नहीं गया है इसलिए कार्रवाई भी नहीं की गयी है। पराली और पुआल लेने के लिए पंचायती राज विभाग की तरफ से साधन उपलब्ध कराने की कार्ययोजना बनाई जानी है लेकिन अभी इस पर एक्शन नही हुआ। अधिकारियों का कहना है कि जब तक ग्राम्य विकास विभाग इस योजना पर ध्यान नहीं देगा तब तक प्रदूषण पर रोक लगाने की मुहिम कामयाब नही हो सकेगी।

5500 नए वाहन हुए हैं रजिस्टर्ड
दिवाली पर हुई भारी खरीदारी के बाद जिले में वाहनों की संख्या 13.71 लाख पहुंच चुकी है।
इसमें 3 लाख टू व्हीलर हैं। बाकी फोर व्हील सहित तमाम हल्के और भारी वाहन मौजूद हैं।
दीवाली पर 5500 नए वाहनों की बिक्री की गई है। जिसमें 1700 वाहन अकेले फोर व्हीलर हैं।
इतनी बड़ी संख्या में वाहनों की बिक्री तो मार्केट को रफ्तार देने वाली है लेकिन 15 साल से पुराने वाहनो का सड़क पर बने होना खतरे की घंटी बजा रहा है
पुराने वाहनो से निकलने वाली कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर आदि गैसें हवा को लगातार मैला कर रही हैं।

धुआंधार हुई पटाखों की बिक्री
दीवाली पर पाल्यूशन बढऩे का एक बड़ा कारण त्योहार पर पटाखों की अंधाधुंध बिकी होना भी है।
आंकड़ों के मुताबिक त्योहार पर 200 करोड़ से अधिक की आतिशबाजी जलाई गई है।
इसको भी पाल्यूशन का अहम रीजन माना जा रहा है। एक्सपट्र्स का कहना है कि धुएं के कण ओंस की बूंदों के साथ निचली सतह पर मौजूद हैं और इसकी वजह से सुबह शाम धुंध सी छाई रहती है। जिसकी वजह से एयर क्वालिटी का मानक गिरा हुआ है।

नवंबर में पाल्यूशन का हाल
झूंसी- 2, 3, 4 और 6 तारीख को एयर क्वालिटी पुवर थी। 5, 7 के बाद 17 नवंबर तक एयर कवालिटी वेरी पुवर रिकार्ड की गई। 8 नवंबर को एयर क्वालिटी सीवियर दर्ज की गई थी।
तेलियरगंज- 2, 4, 5, 7, 10, 11, 12, 13, 14, 15 और 16 नवंबर को एयर क्वालिटी पुवर पाई गई। 8 और 9 नवंबर को हवा का स्तर वेरी पुवर स्टेटस पर चला गया।
नगर निगम- 2, 4, 5, 6, 7 और 9 नवंबर को एयर क्वालिटी बहुत पुवर रही। 1 और 3 नवंबर को पुवर स्टेटस रहा। वही 10 नवंबर को एयर क्वालिटी सीवियर लेवल पर पहुंच गई। 16 नवंबर को भी पुवर क्वालिटी स्टेटस रहा।

कितना खतरनाक है कौन सा स्टेटस
बता दें की एयर क्वालिटी का 100 से अधिक होना अच्छा नही माना जाता है। माडरेट स्टेटस पर आने के बाद हवा को सांस के मरीजों के लिए बेहतर नही माना जाता है। प्रयागराज की हवा लगातार पुवर, वेरी पुवर और सीवियर स्टेटस पर चल रही है। इसका मतलब है कि प्रदूषण का लेवल सेहत पर असर डालने की स्थिति में पहुंच गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि लोगों को ऐसी कंडीशन में मास्क का यूज करना होगा।

किडनी के लिए सबसे ज्यादा घातक
इस तरह से हवा में गंदगी का बढऩा चिंता की बात है। डॉक्टर्स का कहना है कि धूल, धुएं के कण समेत हानिकारक गैसों की मौजूदगी से आक्सीजन का हवा में लेवल कम हो जाता है। यही हवा सांसों के जरिए पहले फेफड़े को नुकसान पहुंचाती है। इसकी वजह से लोग दमा और सीओपीडी जैसे घातक रोगों से परेशान हो जाते हैं। सबसे ज्यादा असर किडनी पर पड़ता है। हानिकारक तत्वों के खून में घुलने की वजह से इसे किडनी साफ नही कर पाती और उसमें संक्रमण की संभावना बनी रहती है।

हमारे पास पुवाल जलाने की सूचना आती है लेकिन सामने ऐसी घटना नही मिली है। पराली देने और गोबर की खाद लेने की योजना में बहुत इंटे्रस्ट किसान नही ले रहे हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें सरकार पराली लाने के लिए साधन उपलब्ध कराए। शहर का प्रदूषण लेवल बढ़ाने में वाहन और पटाखे भी कारण हैं।
विनोद कुमार शर्मा डीडी, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट प्रयागराज

जिले में 1.70 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। इसकी कटाई हो चुकी है। हमारा लक्ष्य पराली को जिले की गौशालाओं में भिजवाना है। बदले में खाद दी जाती है। हमारी कोशिश है कि पराली को जलाने से बचाया जा सके।
सुभाष मौर्या जिला कृषि अधिकारी, प्रयागराज

पाल्यूशन बढ़ा हुआ है। ठंड के मौसम में ओस की बूंदे नीचे आने की वजह से प्रदूषण भी अधिक नजर आता है। इसलिए लोगों को बचना होगा। कोहरे में बाहर न निकले तो बेहतर होगा। मास्क का यूज करें। जब तक पाल्यूशन लेवल बेहतर स्थिति में न पहुंच जाएं। सांस के मरीज घर के भीतर रहें तो सही होगा।
डॉ। आशुतोष गुप्ता चेस्ट फिजीशियन, प्रयागराज