प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर का हाथी पार्क पब्लिक के लिए 'हाथी दांतÓ बन चुका है। सविधाएं ढेला भर नहीं हैं और वसूली हर कदम पर की जा रही है। पार्क के चिडिय़ा घर महज तीन बतख के सिवाय एक भी पक्षी नहीं है। बच्चों के लिए फ्री में राउंड करने वाले कई झूले टूटे हुए हैं। जिस हाथी की वजह से इसका नाम हाथ पार्क पड़ा, वही हाथी जर्जर हो चुकी है। बच्चों की बोटिंग के लिए बनाए गए ताल का पानी निहायत गंदा है। पानी की कंडीशन देखकर यह कहना गलत नहीं कि इसमें बोटिंग करने से बच्चों में इंफेक्शन फैल सकता है। इन सबसे भी बड़ी बात यह कि गेट इंट्री से लेकर पार्क के अंदर हर कदम पर टिकट के नाम पर वसूली की जा रही है। किसी मेला की तर्ज पर पार्क के अंदर तीस-तीस रुपये के टिकट बनाए जा रहे हैं। शुक्रवार को बच्चों को घुमाने पार्क पहुंचे लोगों से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा बात की गई। ज्यादातर लोग पार्क की अव्यवस्था व टिकट रेट को लेकर नाराजगी जाहिर किए।
गजब: चिडिय़ा घर में चिडय़ां ही नहीं
बच्चों को घुमाने के लिए पार्क आए लोग बड़ी बेबाकी के साथ अपनी बात रखी। पब्लिक का कहना था कि हाथी पार्क इसका नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां एक हाथी बनाई गई है। जिसके अंदर से बच्चे स्लिप करके इंज्वाय किया करते हैं। इस पार्क की पहचान हाथी जर्जर हो चुकी है। आगे का एक दांत टूट गया है। कई जगह दरारें बन गई हैं। यही हाल यहां बनाई गई गाय का भी है। पार्क के बीच चार पांच छोटे-छोटे झूले बच्चों के लिए लगाए गए हैं। जिस पर बड़े भी यहां बच्चों के झूला करते हैं। लोगों के मुताबिक पार्क के अंदर वोटिंग के लिए एक छोटा सा ताल बनाया गया है। इसमें बच्चों को वोटिंग कराने के लिए प्रति चाइल्ड 30 रुपये का टिकट लिया जाता है। टिकट के नाम पर यही पैसा प्रति चाइल्ड इलेक्ट्रानिक झूले का भी है। सबसे किनारे स्व चालित चाइल्ड ट्रेन की व्यवस्था है। इस ट्रेन पर बच्चों को बैठा कर उन्हें खुश करने के लिए यहां भी प्रति बच्चा 30 रुपये का टिकट लिया जा रहा है। ठीक इसी के बगल बनाए गए स्टैच्यू से बच्चे स्लिप करके इंज्वाय करते हैं। इसके लिए भी प्रति बच्चा परिजनों को तीस रुपये का टिकट लेना पड़ रहा है। पार्क की में इस वसूली और अव्यवस्था को लेकर पब्लिक में नाराजगी देखने को मिली।
पार्क में कहीं नहीं लगाया रेट बोर्ड
हाथी पार्क के अंदर बच्चों के लिए चार ऐसी सुविधाएं हैं जिस पर तीस-तीस रुपये टिकट लिए जा रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि टिकट लिया जाने वाला तीस रुपये ठेकेदार का आदमी हाथ से लिखकर देता है। फिर वह इलेक्ट्रानिक झूला हो या चाइल्ड ट्रेन अथवा बोटिंग और चाहे स्लिप करने वाला स्टेच्यू ही क्यों नहीं है। लोगों का कहना था कि पार्क के अंदर इस का रेट बोर्ड कहीं पर भी नहीं लगाया गया है। इससे पब्लिक शक जता रही थी कि बगैर बोर्ड लगाए तीस-तीस रुपये के बनाए जा रहे यह टिकट शक के दायरे में हैं। इसकी जांच होनी चाहिए और हर जगह एक रेट लिस्ट भी लगाई जाय।
शहर में एक तो वैसे भी बच्चों के लिए कोई अच्छा पार्क नहीं है। एक हाथी पार्क है भी उसमें टिकट हर कदम पर है पर व्यवस्थाएं सिफर हैं। यहां चिडिय़ा घर में चिडिय़ा है ही नहीं। पार्क के इंदर इंट्री के लिए टिकट लें। फिर अंदर झूला, वोटिंग व चाइल्ड ट्रेन आदि के लिए टिकट अलग से लें। जब गेट पर टिकट लिया जाता है तो फिर हर चीज का टिकट लिया वह भी 30- 30 रुपये वसूली करना सही नहीं है।
सफी अहमद, करेली
इस हाथी पार्क में बड़ों के लिए दस रुपये व बच्चों के पांच रुपये टिकट लगते हैं। जब यह टिकट इंट्री के लिए बनाए जाते हैं तो अंदर झूला आदि के लिए तीस तीस रुपये का टिकट लिया जाना गलत है। दस व पांच रुपये का टिकट गेट पास लिया जाता फिर हर चीज पर इतना चार्ज किस बात का। पार्क में एक तो ताल में पानी इतना गंदा है कि बच्चों को इंफेक्शन हो जाय। सुविधा कोई नहीं वसूली हर कदम पर है।
मो। आमिर, करेली जीटीवी नगर
नाम हाथी पार्क है और अंदर लगी हुई हाथी की स्थिति जर्जर हो गई है। चिडिय़ा सिर्फ नाम का है, सिर्फ दो पिजरे में दो तीन पक्षी छोड़ तो कुछ भी नहीं है। केवल पार्क में आने का दस रुपये बड़ों का और पांच रुपये बच्चों के लिए जा रहे हैं। जब सुविधा ही नहीं दे रहे तो फिर इतनी वसूली भी नहीं करनी चाहिए। अंदर वोटिंग, और इलेक्ट्रिक झूला, एवं चाइल्ड ट्रेन के चार्ज किसी मेला से भी ज्यादा हैं। हर जगह तीस-तीस रुपये के टिकट बनाए जा रहे हैं। सफाई व्यवस्था भी बहुत अच्छी नहीं है।
सुनील कुमार, चौक घंटाघर
पार्क बच्चों के लिए बनाया गया है तो यहां उनके लिए सुविधाएं भी अच्छी होनी चाहिए। कहने के लिए यहां चिडिय़ा घर है पर उसमें एक भी पक्षी नहीं है। जब पार्क में हर जगह तीस-तीस रुपये का टिकट ही लेना है तो फिर गेट पर दस रुपये का टिकट क्यों बनाया जा रहा है। दस रुपये का टिकट इसी लिए न लिया जाता है कि पार्क में इंट्री के बाद सुविधाएं अच्छी व फ्री मिलेंगी। पार्क के नाम पर यहां हर कदम पर टिकट के नाम पर वसूली की जा रही है।
अनूप कुमार सिंह, राजरूपपुर