15 से 20

नवजात रोजाना चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में हो रहे भर्ती

150 से 200

बच्चे रोजाना ओपीडी में दे रहे दस्तक

12

बच्चे भर्ती हैँ हॉस्पिटल के पीआईसीयू वार्ड में

19

बच्चे भर्ती हैं हॉस्पिटल के एनआईसीयू वार्ड में

22

बच्चे भर्ती हैं हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में

95

बच्चे भर्ती हैं हॉस्पिटल के तमाम वार्डो में

- बच्चों की सेहत के लिए खतरनाक हुआ मौसम का मिजाज

- रोजाना पहुंच रहे हैं सीरियस मामले, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में बेड हुए फुल

- हाइपोथर्मिया का शिकार हो रहे है नवजात

प्रयागराज- कोरोना काल में गर्भ में पल रहे शिशु की देखभाल के लिए मां ने जहां पूरी सतर्कता बरती। वहीं अब जन्म देने के बाद अपने कलेजे के टुकड़े को मौसमी बीमारियों से बचने की कवायद करनी पड़ रही है। कारण सर्द हवाओं के चलने और ठंड बढ़ने से उनके शिशु एनआईसीयू यानी नेटल इंटेंसिव केयर यूनिट और पीआईसीयू वार्ड यानी पीडियाट्रिक केयर यूनिट समेत जनरल वार्डो में भर्ती हैं। ठंड की चपेट में आने से नवजात कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। उन्हें ठंड से बचने के लिए एक तरह की जंग लड़नी पड़ रही है। अभिभावक भी अपने शिशु को लेकर चिंतित हैं। पहाड़ों पर बर्फबारी और सर्द हवाओं के चलने से गलन और ठिठुरन जारी है। इस बदले हुए मौसम का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। मौसम का यह मिजाज उनके लिए कहर बनकर टूट रहा है। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में रोजाना बड़ी संख्या में सीरियस मरीज पहुंच रहे हैं। हॉस्पिटल के सभी बेड फुल हो चुके हैं। डॉक्टर्स की माने तो इस सीजन में नवजातों का विशेष ख्याल बेहद जरूरी है। अभिभावकों की जरा सी लापरवाही उनकी जान पर आ सकती है।

ठंड में ये बीमारियां दे रही हैं दस्तक

तापमान लगातार नीचे आ रहा है। ऐसे में विभिन्न प्रकार की बीमारियां बच्चों को चपेट में ले रही हैं। कम वजन, जन्म के बाद इंफेक्शन, पीलिया, सांस लेने में दिक्कत (बर्थ एक्सपेक्सिया), ब्रांकोलाइटिस, निमोनिया जैसी बीमारियां दस्तक दे रही है। इनके मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। हॉस्पिटल में आने वाले ऐसे मरीजों की संख्या रोजाना 150 से 200 के आसपास है।

कुपोषितों के लिए घातक

यह सीजन खासकर उन बच्चों के लिए अधिक खतरनाक है जिनका वजन उम्र के हिसाब से कम है। ऐसे बच्चों को कुपोषितों की श्रेणी में रखा जाता है। इन पर ये बीमारियां तेजी से चपेट में ले रही है।

चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में वर्तमान में ऐसे आधा दर्जन बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसे बच्चों के पोषण का पूरा ध्यान रखा जाना जरूरी है।

बीमार कर सकती हैं यह गलतियां

- बच्चों को पूरी तरह से गर्म कपड़े पहनाकर रखें।

- अनावश्यक घर से बाहर न निकलने दें।

- खान-पान में पौष्टिक चीजों को शामिल करें।

- बच्चों की साफ- सफाई का पूरा ध्यान दें।

- जिन बच्चों को टाइप वन डायबिटीज है उनके इलाज पर ध्यान दें।

- ठंड लगने या बॉडी अकड़ने पर तत्काल हॅस्पिटल में भर्ती कराएं।

इन लक्षणों से रहें होशियार

- बॉडी में अचानक सूजन हो जाने पर।

- बच्चे को तेज ठंड लगने पर।

- पसलियों या नसों में दर्द होने पर।

- सांस तेज चलने पर या सीने में घरघराहट होने पर।

- भूख नहीं लगने पर या बार-बार पतली लैट्रिन होने पर।

ठंड का तेजी से बढ़ना छोटे बच्चों के लिए घातक है। खासकर 12 साल तक के बच्चों पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। उनको ठंड से बचाएं और इसके अलावा खानपान और साफ सफाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इस समय मरीजों की संख्या बढ़ोतरी हुई है।

डॉ। मुकेश वीर सिंह, एचओडी, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल