प्रयागराज ब्यूरो । उन्होंने बताया कि हाल में आयोग के अध्यक्ष से सिफारिश की गई कि बच्चों के गोद लेने की प्रक्रिया में पांच साल की जांच पड़ताल के पीरियड को घटाकर तीन माह कर दिया जाए। जिससे बच्चे को पैरेंट्स से घुलने मिलने का समय मिले और उसके मस्तिष्क पर उनको लेकर नकारात्मक विचार न पैदा हों। क्योंकि ऑलरेडी साठ दिन बच्चा अपने पैरेंट्स के साथ रहता है।

न्यायिक प्रक्रिया का है हिस्सा

जुवेनाइल ऐक्ट के तहत बाल सुधार गृहों मेें रह रहे बच्चों के मामलों में लंबी सुनवाई के सवाल पर आयोग की सदस्य ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि सात साल से अधिक कारावास वाले मामलों के 200 बच्चे सुधार गृह में हैं। इन पर 302, 376 और 363 जैसी धाराएं लगी हैं। उन्होंने बताया कि इससे कम सजा वाले मामलों में बच्चों को जल्द जमानत मिल जाती है। यह भी कहा कि बच्चों के मेडिकल को 5 से 6 घंटे की जगह जल्द निपटाए जाने का सुझाव भी दिया गया है।

पीकू वार्ड में दिखी गंदगी, संक्रमण का डर

आयोग की सदस्य निर्मला पटेल ने गुरुवार को आंगनबाड़ी केंद्र सदर बाजार-दो, सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय स्थित एनआरसी एवं पीकू वार्ड तथा राजकीय बालगृह/बालिका व वन स्टाप सेंटर खुल्दाबाद का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि पीकू वार्ड में गंदगी दिखाी और लोगों ने मास्क नही पहना हुआ था। इसे संक्रमण का डर बना हुआ था। इसे दूर करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र सदर बाजार-दो में एक गर्भवती की गोदभराई भी की। वहां उपस्थित लोगों से पोषाहार प्राप्त होने संबंधी जानकारी ली। कहा कि कमियों को दूर किया जाए। इस अवसर पर जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज मिश्र, प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी विमल चौबे, बाल विकास परियोजना अधिकारी ओम प्रकाश यादव, संजिता ङ्क्षसह व ज्योत्सना त्रिपाठी मौजूद रहीं।