लगातार बढ़ रही है मरीजों की संख्या, बुखार व खांसी से पीडि़त बड़ी संख्या में पहुंच रहे मरीज

एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का चल रहा इलाज, मेडिकल स्टॉफ हलकान

PRAYAGRAJ: डेंगू और मलेरिया के साथ वायरल फीवर बच्चों की जान का दुश्मन बन गया है। बीमार बच्चों से चिल्ड्रेन हॉस्पिटल पटा पड़ा है। तीमारदार मासूमों की हालत देखकर परेशान हैं। हॉस्पिटल के वार्डो में बेड तक कम पड़ गए हैं। एक-एक बेड पर जनरल वार्ड में तीन-तीन बच्चे हैं। वार्डो में बच्चों के घर वालों की भीड़ इंफेक्शन का और खतरा बढ़ा रहा है। मजबूरी यह है कि वे बच्चों को छोड़कर बाहर जा भी नहीं सकते। वार्डो में तैनात नर्स ही नहीं डॉक्टर तक हलकान हैं। बुखार और खांसी से जूझ रहे एक बच्चे की सोमवार को यहां मौत हो गई। दम तोड़ चुके जिगर के टुकड़े को ्रलिपट कर उसकी मां बिलखती रही। मौत डेंगू से हुई या मलेरिया बुखार से यह तक वार्ड के डॉक्टर व नर्स बताने से कतराते रहे।

छलकते रहे आंसू

चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में एक नर्स ने बताया कि बीस बेड है। मरीजों की संख्या के बारे में यहां कोई बताने को तैयार नहीं था। वैसे यहां बेड पर तीन-तीन बीमार बच्चे लेटे हुए दिखाई दिए। तीमारदारी में लगे घर वाले बीमार बच्चों को देखने के लिए स्टाफ से गुहार लगाते रहे। मरीजों की भीड़ और तीमारदारों के दबाव को देखते हुए स्टाफ का मिजाज काफी कर्म रहा। इस वार्ड में बेड पर लेटी डेढ़ वर्ष की मीनाक्षी दम तोड़ चुकी थी। वह सरायममरेज के खखैचा जंघई निवासी रमेश कुमार की बेटी थी। बेटी की बॉडी से लिपट कर सुबक रही मां के आंसू तीमारदारों को द्रवित कर गए।

रमेश के रिश्तेदारों ने बताया कि उसे क्षेत्र के अस्पताल से रेफर किया गया था। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में लाने के कुछ देर बाद बताया गया कि बच्ची की डेथ हो गई है। वार्ड में तीमारदारों की भीड़ भी एडमिट बच्चों में इंफेक्शन के खतरे को जन्म दे रहा था।

हाईटेक वार्ड में एक बेड पर दो बच्चे

पीआईसी वार्ड चार काफी हाईटेक हैं। इसमें कम्प्यूटर से लेकर ऑक्सीजन तक की व्यवस्था है। इस वार्ड में भी एक बेड पर दो बच्चे दिखाई दिए। यह वार्ड दस बेड का बताया गया। वार्ड नंबर एक में तीमारदारों की भीड़ जनरल वार्ड की तुलना में काफी कम थी। एक नर्स ने बताया कि इस वार्ड में कुल 19 बेड हैं। मगर, बुखार और खांसी एवं सीने में जकड़न जैसी समस्या से जूझ रहे 35 बच्चे एडमिट हैं। मतलब यह हुआ कि यहां भी एक बेड पर दो बच्चे एडमिट हैं।

जांच रिपोर्ट बताने से कतराते रहे

एडमिट बच्चों में डेंगू है या मलेरिया अथवा कोई और बीमारी यह बताने से स्टाफ कतराता रहा। किए गए सवाल का जवाब काफी झल्लाहट भरा और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से पूछने की सलाह वह देते रहे। कुछ नर्स व डॉक्टरों ने बताया कि स्टॉफ काफी कम है। एक-एक नर्स को यहां दो-दो वार्ड की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है। शायद यही वजह है कि ज्यादातर स्टाफ के लोग झल्लाहट में दिखाई दिए।

एक बच्चे को पिछले चार दिन से एडमिट किए हैं। बड़ी मुश्किल में एक बोड पर थोड़ी सी जगह मिली। उस पर पहले से ही दो बच्चे भर्ती थे। जब बेड ही कम है तो डॉक्टर या स्टाफ ही क्या करे? बच्चे को बुखार और खासी एवं सीने में जकड़न था। आज यानी सोमवार को बच्चे को राहत दिख रही है।

राजकरन, घूरपुर

बेड ही नहीं चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में स्टॉफ की भी कमी है। नातिन को पिछले तीन दिन से भर्ती करवाए हैं। उसे लेडि़यारी सीएचसी से रेफर किया गया था। वहां तो डॉक्टर नातिन को मलेरिया बताए थे। यहां इलाज बाद थोड़ी राहत उसमें दिख रही है। मगर बुखार उतरने के बाद फिर चढ़़ जाता है। खासीआ रही सो ऊपर, बेड ब मुश्किल मिला है।

हरीलाल, नीबी

हम एक रिश्तेदार के बच्चे को एडमिट करवाए हैं। समस्या क्या है यह आप सब भी देख ही रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या तो यहां बेड की ही है। एक-एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को लेटाया गया है। डॉक्टर एक बच्चे के पास जाते हैं तो दूसरे बच्चे के तीमारदार उन्हें खींचने लगते हैं। सब भगवान के भरोसे चल रहा है।

मनीष कुमार, घूरपुर

तीन साल के बेटे अभी को चार दिन से एडमिट किए हैं। उसे ठंड देकर बुखार आ रहा था। जब से यहां एडमिट करवाएं हैं कुछ दवाएं डॉक्टर्स दिए हैं। खाने पर बुखार उतरा रहता है असर खत्म होते ही फिर चढ़ जाता है। जांच रिपोर्ट ही अभी तक नहीं आई है।

सोनू गुप्ता, दुर्गागंज प्रतापगढ़