प्रयागराज ब्यूरो । कोरोना काल में रूटीन टीकाकरण के ब्रेक होने का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। गुरुवार को एक बच्चे की चिल्ड्रेन अस्पताल में डिप्थीरिया से मौत हो गई। इस पर परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया। इस साल अब तक तीन मौते इस बीमारी से सामने आ चुकी हैं। पिछले साल भी एक बच्चे की मौत डिप्थीरिया से हुई थी।
कई दिनों से बीमार था दिव्यांशु
जानकारी के मुताबिक करछना के खाई गांव का रहने वाला नौ साल का दिव्यांशु लंबे समय से बीमार चल रहा था। उसके पिता जीत पांडेय ने दिव्यांशु को पहले एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था और फिर उसे चिल्ड्रेन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था। 30 सितंबर को बच्चे को यहां भर्ती कराया गया था। एक अक्टूबर की शाम को यहां बच्चे का आपरेशन किया गया। जिसके थोड़ी देर बार उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी। उसे आक्सीजन उपलब्ध कराई गई। तीन अक्टूबर की सुबह बच्चे की मौत हो गई। डॉक्टर्स की माने तो दिव्यांशु को डिप्थीरिया के सभी टीके नही लगाए गए थे।
बेटे की मौत पर पिता ने खोया आपा
पेशे से मजदूर जीत पांडेय ने अपने बेटे की मौत पर खुद से नियंत्रण खो दिया। वह डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे। कुछ देर बाद वह बच्चे की बॉडी लेकर इमरजेंसी वार्ड से बाहर आ गए। यहां पर माता-पिता दिव्यांशु की बॉडी लेकर विलाप करते रहे लेकिन कोई सुनवाई नही हुई। उन्होंने बच्चे की बॉडी ले जाने के लिए हॉस्पिटल से एंबुलेंस की मंागी लेकिन अस्पताल प्रशासन का कहना था कि हमारे पास कोई एंबुलेंस नही है। उन्हें मौके पर 102 और 108 एंबुलेंस भी उन्हें उपलब्ध नहीं हुई। इसके बाद पिता ने बेटे की बॉडी ले जाने के लिए निजी एंबुलेंस का सहारा लिया। जीत पांडेय का कहना था कि दिव्यांशु को आपरेशन के बाद चौबीस घंटे कुछ नही देने को डॉक्टरों ने कहा था। बताया कि उनका बेटा प्यास से तड़पता रहा। लेकिन डॉक्टर उसे कुछ भी देने से मना करते रहे।
गलाघोटू को कहते हैं डिप्थीरिया
- यह नाक और गले की एक गंभीर संक्रामक बीमारी है।
- इसकी वजह से मरीज का श्वसन तंत्र डैमेज हो जाता है।
- कमजोरी, गले में खराश, हल्का बुखार और गर्दन में सूजन जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
- डिप्थीरिया का टीका 2 और 4 महीने की उम्र में दो खुराके दी जाती हैं, 11 महीने में पहली बूस्टर डोज दी जाती है।
- 3-6, 11 से 13, 25, 45 और 65 साल की उम्र में आगे के बूस्टर डोज दी जाती है।
- 4-11 या 12 साल की उम्र में बड़े बच्चों को टीडीएपी टीका लगवाना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को किसी भी गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान टीडीएपी का टीका जरूर लगवाना चाहिए।
बच्चे की मौत डिप्थीरिया से हुई है। कोविड काल की हिस्ट्री के दौरान उसे टीका नही लगाया गया था। जब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया तब वह गंभीर स्थिति मे था।
- डॉ। अनुभा श्रीवास्तव, एचओडी, चिल्ड्रेन अस्पताल
कोरोना संक्रमण के दौरान जिन बच्चों का टीकाकरण रह गया था उनको अलग अलग कार्यक्रम चलाकर पूरा किया जा रहा है। लोगों में टीकाकरण को लेकर जागरुकता का भी अभाव है।
डॉ। आशु पांडेय, सीएमओ प्रयागराज