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सरकारी दुकानें हैं जिले में देशी शराब की

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सरकारी दुकानें हैं जिले में अंग्रेजी शराब की

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सरकारी दुकानें हैं जिले में बियर की

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मॉडल शॉप संचालित हैं जिले के अंदर

मोबाइल पर डाउन लोड करिए 'एक्साइज स्कैनर एप' और खुद करिए शराब की जांच

शराब से हो रही घटनाओं को देखते हुए एप का इस्तेमाल करने के लिए जागरूक करने में लगा विभाग

mukesh.chaturvedi@inext.co.in

पैग लड़ाने का शौक रखते हैं तो थोड़ा समझदार भी होना होगा। थोड़ा संयम भी बरतना होगा। चंद मिनट का क्रास चेक खुद ही कर लें तो ज्यादा बेहतर होगा। इससे दुकानदार की मनमर्जी रुक जाएगी और अवैध शराब का कारोबार करने वाले माफियाओं का खेल आपको भी समझ में आ जाएगा। इसके बाद आप पुलिस के साथ आबकारी विभाग के मददगार भी बन सकते हैं। इसके लिए आपको अपने मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ाना होगा। बोतल खरीदने से पहले क्यूआर कोड स्नैक करके देखना होगा कि जो सामान आपको दिया जा रहा है वह आपके लिए है भी या नहीं। खुद चेक लीजिए कि शराब असली है।

बोतल की ऐसे जानिए सारी डिटेल

प्लेस्टोर से 'एक्साइज स्कैनर एप' डाउन लोड कीजिए।

एप के डाउन लोड हो जाने के बाद स्क्रीन पर आए आप्शन पर ओके की बटन टच कर दीजिए। इतना करते ही यह एप मोबाइल पर एक्टिव हो जाएगा।

मोबाइल पर डाउन लोड किए गए एप के जरिए आप यह जान सकेंगे कि शराब असली है या नकली।

आप जब बोतल खरीदें तो एप ओपन करके उस पर बार कोड को स्कैन करिए।

कोड स्कैन करते ही आपके सामने प्रोडक्शन से जुड़ी पूरी डिटेल होगी। इससे आपको पता चल जाएगा कि यह बोतल यूपी की दुकानो पर बेचने के लिए है या नहीं

क्यूआर कोर्ड स्कैन हो जाने पर आपको पता चल जाएगा कि बोतल पर सील कब की लगी है। इसमें अल्कोहल की मात्रा कितनी है। यह गोदाम से कब निकली

गोदाम से निकलने के बाद किस दुकान के लिए यह शराब अलाट की गई थी, उस वह दुकान कहां है और किसकी है

यह सारी डिटेल आप अपने मोबाइल पर आ जाएगा, इससे आप शराब के उस बोतल की पूरी डिटे जान लेंगे

बोतल दुकानदार द्वारा वापस न करने की स्थिति में आप विभाग में या पुलिस से सुबूत के साथ शिकायत कर सकते हैं

सरकारी दुकान पर अवैध शराब कैसे

सरकारी दुकानों पर गैर सरकारी शराब जिले के अंदर धड़ल्ले से बेची जा रही है। शराब माफिया सरकारी दुकानों से मौत की घूंट का सौदा कर रहे हैं। यह बात अब तक कई जगह की गई कार्रवाई से साबित हो चुकी है। हंडिया कांड के बाद 14 मार्च को थरवई व सोरांव स्थित देशी शराब पर छापेमारी की गई थी। अधिकारियों ने दावा किया था कि शराब की इन सरकारी दुकानों पर अवैध शराब पकड़ी गई है। बुधवार को भी फूलपुर के फतेहपुरमाफी देशी शराब की दुकान पर लाखों की अवैध शराब बरामद हुई। इसके पूर्व पिछले वर्ष 21 नवंबर को फूलपुर में शराब से दम तोड़ने वाले लोग अमिलिया स्थित देशी शराब की दुकान से पौवा खरीदकर पिए थे। ऐसा अधिकारियों का कहना था। यह सारी कार्रवाइयां और बरामदगी आबकारी विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। सवालों के कठघरे में खड़े आबकारी विभाग के पास इन सवालों के शायद ही कोई जवाब हों?

बारकोड स्कैन किए बिन बेच रहे शराब

सरकारी शराब के दुकानदार बार कोड को ग्राहकों के सामने बगैर स्कैन किए बोतल पकड़ा दे रहे हैं। बोतल पाते ही ग्राहक भी उसे लेकर चुपके से ऐसे जाते हैं मानों चोरी कर रहे हों। वह खुद एक भी बार दुकानदार से बार कोड स्कैन करने के लिए नहीं कहते। यदि वह कहेंगे भी तो दुकानदार उनके सामने यह बार कोड स्कैन कर भी नहीं पाएगा। दुकानदार तपाक से यही जवाब देगा कि लेना हो लो नहीं जाइए, मेरे पास बार कोड स्कैनर मशीन नहीं है। कुछ ऐसा ही जवाब शुक्रवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर को सेल्समैन द्वारा दिया गया गया। रिपोर्टर दोपहर बाद सिटी के हॉट स्टफ चौराहे पर स्थित देशी व बियर की दुकान पर हकीकत की पड़ताल करने खरीदार बनकर पहुंचा था।

जनपद व एरिया डेथ संख्या

प्रयागराज हंडिया 16 लोग

प्रतापगढ़ संग्रामगढ़ 04 लोग

चित्रकूट राजापुर 08 लोग

आबकारी में मैन पॉवर

पद तैनाती संख्या

आबकारी निरीक्षक 11

सदर एरिया में 04

ग्रामीण एरिया में 07

हेड कांस्टेबल 17

कांस्टेबल 18

दुकान में ऐसे पहुंचती है अवैध शराब

सरकारी दुकानों के अंदर अवैध शराब की खेप पहुंचाने माफियाओं के शातिर दिमाग होता है। दरअसल एफएल-2 से दुकान के लिए सरकारी शराब की खेप डिमांड के आधार पर निकाली जाती है। पड़ताल में रिपोर्टर को कुछ जानकारों द्वारा दबी जुबान बताया गया कि दुकानदार अपनी निजी गाड़ी से यह शराब गोदाम यानी एफएल -2 से दुकान तक ले जाते हैं। चूंकि दुकान पर कैमरे लगे होते हैं इसलिए दो बार शराब दुकान में उतार नहीं सकते। लिहाजा वह एफएल-2 से जिस गाड़ी द्वारा शराब उठान करते हैं उसे रास्ते में ही रोक कर उसमें अवैध शराब लदवा देते हैं। चूंकि गाड़ी वही बुक किए होते हैं लिहाजा चालक को भाड़े से मतलब होता है माफिया जहां कहते हैं वह चला जाता है और रुक जाता है। इस तरह सरकारी शराब के साथ दुकान में अवैध शराब की खेप भी पहुंच जाती है। कुछ माफिया तो सीसीटीवी कैमरे को ही बंद कर देते हैं। चूंकि आबकारी विभाग स्टाक आदि की चेकिंग जल्दी करता नहीं, इस लिए वे बेखौफ होकर असली में नकली शराब मिलाकर धड़ल्ले से बेचते हैं।

दुकानदार नकली शराब न बेच सके इसके लिए आबकारी विभाग का एक एप है जिसे वे मोबाइल पर डाउनलोड कर बार कोड के जरिए खुद चेक कर सकते हैं। उनके द्वारा चेकिंग में बार कोड स्कैन न तो तो वह शिकायत भी कर सकते हैं, उनकी शिकायत पर दुकानदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

प्रेम प्रकाश

एडीजी जोन प्रयागराज