प्रयागराज (ब्यूरो)। ई-चालान में नहीं हो पा रही जानकारी
लोगों में ऑन स्पॉट चालान से कहीं ज्यादा डर ई-चालान का है। क्योंकि इसमें वाहन चालक को चालान कटने का तुरंत पता नहीं चलता है। ई-चालान के वक्त पुलिसकर्मी वाहन या चालाक का कोई पेपर जब्त नहीं करता है। यह ही कारण है कि लोग ई-चालान का जुर्माना जमा करने की वजह पेंडिंग कर दे रहे हैं। ट्रैफिक डिपार्टमेंट के पुराने जानकारों की माने तो ई-चालान की प्रक्रिया से पहले जो पेपर जब्त कर चालान होता है। उस पेपर को छुडवाने के लिए लोग जल्दी चालान राशि मौके पर ही जमा कर देते थे। जनवरी से लेकर मई तक 80 हजार से अधिक चालान किये गए है। जिसमें से 34 हजार से अधिक लोगों ने जमा कर दिया है। बाकि का जुर्माना पेंडिंग है। जिसमें से कुछ का समय सीमा पुरा होने के बाद कोर्ट भेजने की प्रक्रिया चल रही है।

महंगा हो सकता है बीमा
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत एसपी ट्रैफिक अरूण दीक्षित ने बताया कि अगर कोई वाहन चालाक ई-चालान या ऑन स्पॉट चालान नहीं भरता है, तो इसकी वसूली उसके वाहन बीमा से की जा सकती है। मतलब अगली बार जब वह बीमा कराएगा। तो हो सकता है, आपके पेंडिंग चालान की रकम भी उसमें शामिल हो। इससे आपके वाहन की बीमा पालिसी महंगी हो सकती है। अगर आपने वाहन का बीमा ही नहीं कराया तो कभी भी ट्रैफिक पुलिस पेपर चेकिंग के दौरान आपका लंबा चालान काट सकती है। इतना ही नहीं अगर आपने उस बीच किसी को गाड़ी बेचने का प्रयास किया तब भी आप ऐसा नहीं कर सकेंगे, क्योंकि आप जब भी वाहन का बीमा कराएंगे, उसमें चालान की राशि जुड़ होगी। एक यह भी प्रोसेस है। चालान की जुर्माना राशि वसूलने का।

इसपर भी हो चुका है काम
भारतीय नियामक बीमा प्राधिकरण (इरडा) ने लंबित जुर्माने को बीमा से जोडऩे की योजना पर काम चल रहा है। सबसे पहले इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बड़े शहरों में लागू किया जा जाएगा। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों की माने तो प्रयोग सफल रहने पर इस योजना को पूरे जिले में लागू किया जा सकता है। इसके लागू होने से जुर्माना की राशि वसूलने में आसानी हो जाएगी। इसपर तेजी से काम चल रहा है।


नहीं बेच सकते वाहन
अगर आपने चालान जमा नहीं किया तो आप उस वाहन को किसी और भी बेच नहीं सकते हैं। किसी और को वाहन बेचने पर गाड़ी के पेपर दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं होंगे। इतना ही नहीं आप गाड़ी को बंधक (मॉर्टगेज) रखकर उस पर लोन भी नहीं ले सकते हैं। अगर आपकी गाड़ी की आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) चालान के वक्त जब्त कर लिया गया है और आपने उसे नहीं छुड़ाया है, तो दूसरी बार चालान के वक्त आपका वाहन पुलिस द्वारा सीज भी किया जा सकता है।

पुलिस को वसूली का अधिकार नहीं
चालान कटने की स्थिति में पुलिस को आपसे जुर्माना वसूलने का अधिकार नहीं है। मतलब अगर आप चालान खत्म कराने के लिए पुलिस को जुर्माना देते हैं तो वह जुर्माना ले तो सकती है, लेकिन ऐसा करने के लिए पुलिस किसी वाहन चालक को मजबूर नहीं कर सकती। सीधे शब्दों में कहें तो पुलिस आपको रोककर चालान तो कर सकती है, लेकिन आपसे चालान का जुर्माना जबरन नहीं वसूल सकती। जुर्माने की वसूली के लिए कोर्ट द्वारा आदेश जारी किया जाता है। इसके बाद पुलिस-प्रशासन वसूली की कार्रवाई करती है।


ऐसे चेक करें ई-चालान हुआ या नहीं
एसपी ट्रैफिक अरूण दीक्षित ने बताया कि अगर आपको भी ये जानना चाहते हैं कि आपका कोई ई चालान पेंडिंग तो नहीं है या कहीं आपका भी तो ई-चालान नहीं हुआ पड़ा है, तो आप इंटरनेट की मदद से इसका पता लगा सकते हैं। इसके लिए आपको द्धह्लह्लश्चह्य://द्गष्द्धड्डद्यद्यड्डठ्ठ.श्चड्डह्म्द्ब1ड्डद्धड्डठ्ठ.द्दश1.द्बठ्ठ/ पर जाना होगा। यहां आपको चेक चालान स्टेटस का विकल्प मिलेगा। इस विकल्प पर जाकर आप अपनी गाड़ी के नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस के नंबर या एसएमएस से प्राप्त ई चालान के नंबर से उसकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। एसएमएस से ई-चालान की जानकारी भेजने के साथ ही इसका लिंक भी दिया जाता है। यहां पर आपको चालान का ऑनलाइन भुगतान करने का विकल्प भी मिल जाएगा।


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कानून के अनुसार, किसी भी आपराधिक मामले में चालान संबंधित अदालत में 90 दिनों के अंदर-अंदर दायर करना जरूरी होता है। छोटे आपराधिक मामलों में यह समय सीमा 60 दिन है। यदि तय समय सीमा में पुलिस अपराधी का चालान नहीं पेश करती, तो इसका सीधा फायदा आरोपी को जमानत मिलने के रूप में मिल सकता है।

हाईलाइट
जनवरी से मई तक का चालान डाटा
16725
बिना हेलमेट

5287
बिना सीट बेल्ट

152
फोन इस्तेमाल करने पर

83
ओवरस्पीड

1818
तीन सवारी

721
गलत दिशा

10737
गलत पार्किंग

7082
डीएल के बना

1599
बिना प्रदूषण

1312
बिना इंश्योरेंस

35321
अन्य ट्रैफिक नियम तोडऩे पर

टोटल - 80837
लोगों ने ही जमा किया चालान राशि - 34721

वर्जन - कई बार लोग जब चालान कोर्ट चला जाता है। अधिकतर लोगों के आज भी आरटीओ में फोन नंबर अपडेट नहीं है। जिसके चलते काफी दिनों बाद पता चलता है। जैसे हर महीने अन्य चीजों का बिल चेक किया जाता है। उसी तरह हर महीने ऑनलाइन चेक कर लिया करें। इस मुसीबत से बच सकते हैं।
वर्जन - अरूण दीक्षित, एसपी ट्रैफिक प्रयागराज