प्रयागराज ब्यूरो । कहीं आपके पास सौ का नोट नकली तो नहीं है। सौ की नोट पर नंबर 979331 को चेक कीजिए। हो सकता है कि आपके पास मौजूद सौ की नोट में दर्ज ये नंबर वाला नोट नकली हो। आप कहीं इसे खर्च करें और नकली नोट के चक्कर में कहीं आपकी फजीहत न हो जाए। इसलिए एहतियात जरुरी है। दरअसल, नकली नोट छापने वाले गैंग ने एक ही नंबर की नोट को स्कैन किया, इसके बाद उसकी छपाई शुरू कर दी। पूछताछ में जो बात सामने आई है वह बेहद चौंकाने वाली है। यकीन किया जाए तो मार्केट में इस पचास लाख रुपये से ज्यादा सौ के नकली नोट घूम रहे हैं।

सप्लाई के साथ खर्च भी
नकली नोट गैंग का सरगना जाहिर खान न केवल नोट छापता था, बल्कि अपने सहयोगियों मोहम्मद अफजल और मदरसे के प्रिंसिपल तफसीरुल के साथ मिलकर उसे चलाता भी था। इन तीनों के टारगेट पर छोटे दुकानदार, ई रिक्शा और टेंपो ड्राइवर रहते थे। तीनों शातिर सौ के नकली नोट को ऐसे लोगों को देते थे जो जल्दी नोट चेक नहीं करते थे। इसके अलावा सप्लाई के लिए नेटवर्क भी बना लिया था। जिसमें से अभी केवल एक मोहम्मद साहिद को ही पकड़ा जा सका है।

देखते देखते हो गया शाहखर्च
करेली में करामात की चौकी का रहने वाला मोहम्मद साहिद अभी केवल 18 साल का है। साहिद अफजल के जरिए गैंग के सम्पर्क में आया। नकली नोट का कारोबार उसे पसंद आया। उसने अफजल से नकली नोट लेना शुरू कर दिया। इसके बाद बात बात पर नोट खर्च करने लगा। अंदाजन अकेले साहिद ने ही पांच से ज्यादा के नकली नोट मार्केट में खपा दिया है।

ये है मामला
पुलिस ने सिविल लाइंस में पचास हजार रुपये सौ के नकली नोट सप्लाई करने आए गैंग के सरगना जाहिर खान और मदरसे के प्रिंसिपल तफसीरुल को पकड़ा था। दोनों को पुलिस और एसओजी सिविल लाइंस थाने ले गई। वहां दोनों से पूछा गया कि वह नकली नोट कहां से लाते थे। इसके जवाब में दोनों ने एसओजी और सिविल लाइंस पुलिस को छापाखाना के बारे में जानकारी दी। एसओजी और सिविल लाइंस पुलिस ने मदरसे में दबिश दी। वहां पर कमरे में छापाखाना मिला। इसके अलावा पुलिस के हत्थे अफजल भी चढ़ गया।

भाई से सीखा नोट छापना
जाहिर उड़ीसा के जिला भदसर के वासुदेवपुर थाना एरिया के आजाद बस्ती का रहने वाला है। जाहिर का भाई आधार कार्ड प्रिंट करने का काम करता है। आधार कार्ड प्रिंट करने के दौरान जाहिर ने नकली नोट प्रिंट करने का विचार बनाया। इसके बाद उसने बहुत प्रैक्टिस की। एक समय आया जब सौ की नोट को वह हुबहू बनाने लगा।

तो उड़ीसा में भी की सप्लाई
जाहिर अपने भाई से आधार कार्ड प्रिंट करने वाली मशीन उड़ीसा से यहां लाया था। मशीन की प्रिंटिंग क्वालिटी इतनी बेहतर है कि कोई भी पहली नजर में नकली और असली नोट की पहचान नहीं कर सकेगा। इसी का फायदा जाहिर ने उठाया।

तीन महीना से बना रहे थे नोट
पुलिस पर यकीन करें तो जाहिर यहां पर तीन महीना से नोट छापने का काम कर रहा था। ये तो उसने फौरी पूछताछ में बताया है। हालांकि जिस तरह से नोट छपाई की व्यवस्था बनाई गई थी, उससे तो नहीं लगता है कि यह काम केवल तीन महीना से चल रहा था। हालांकि अभी इस बारे में और खुलासा रिमांड पर पूछताछ के बाद होगा।

मनमोहन पार्क से खरीदते थे कागज
पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि जाहिर मनमोहन पार्क के पास से एक दुकान से नोट छापने के लिए कागज खरीदता था। ऐसे में इस गैंग ने कितने लाख की नोट छापकर मार्केट में चलाया है इसका अंदाजा लगाने के लिए दुकानदार से भी पूछताछ हो सकती है। मुमकिन है कि जल्द ही पुलिस दुकानदार से पूछताछ करे।

नेटवर्क खंगाल रही पुलिस
भले ही फौरी तौर पर पुलिस ने गैंग के चार मेंबरों को सरगना समेत नैनी जेल पहुंचा दिया हो, मगर ये जांच अभी जारी रहेगी। पुलिस ने गैंग के नेटवर्क को खंगालना शुरू कर दिया है। इसके लिए पुलिस जाहिर, अफजल, प्रिंसिपल और साहिद के मोबाइल नंबर का डिटेल निकाल रही है। इस डिटेल के बाद ज्यादा बात होने वाले नंबर वालों से भी पूछताछ हो सकती है।

आरोपितों को लिया जाएगा रिमांड पर
पुलिस जल्द ही सभी आरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। चूंकि इस मसले में आईबी ने भी इंट्रेस्ट ले लिया है। ऐसे में मामला जल्द थमने वाला नहीं है। पुलिस रिमांड पर जाहिर को लेकर यह भी जानने का प्रयास करेगी कि कहीं उसका कोई ऐसा कनेक्शन तो नहीं है, जोकि देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो।