प्रयागराज ब्यूरो । राजकेसर दुल्हन बनना चाहती थी। वह छोटी सी अपनी दुनिया बसाना चाहती थी। अपना आशियां बसाने के लिए उसने रात दिन मेहनत की। पिता की मौत हुई तो उसने बेटे की तरह अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाली। पैसे कमाए। खुद की ख्वाहिशों को कुर्बान कर बहनों की शादी की। जिम्मेदारी से फारिग हुई तो उसके दिल में भी मोहब्बत के फूल खिले। वह मोहब्बत में सपनों की दुनिया संजोए बदनाम हो गई। पर प्रेमी का साथ नहीं छोड़ा। लेकिन दगाबाज प्रेमी ने राजकेसर का कत्ल कर दिया। जिस घर में राजकेसर दुल्हन बनकर रहना चाहती थी उसी घर में प्रेमी ने राजकेसर को मार कर दफन कर दिया। करीब 15 दिन बाद दगाबाज प्रेमी की करतूत का खुलासा हुआ तो लोग हक्का बक्का रह गए। लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। प्रेमी ने राजकेसर की बाडी बरामद करा दी है। पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है। वहीं, घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है।

परिवार का थी सहारा

करछना के कुंजल महेवा गांव के सालिकराम की मुंगारी टोल प्लाजा के सड़क हादसे में मौत हो गई। पिता ही परिवार का सहारा थे। पिता की मौत के वक्त बड़ी बेटी राजकेसर की उम्र करीब 28 वर्ष थी। सालिकराम बेटी की शादी खोज रहे थे। मगर उन्हें राजकेसर के लायक लड़का नहीं मिल रहा था। राजकेसर काफी तेज तर्रार थी। वह भी एक सामान्य लड़की की तरह घर गृहस्थी बसाना चाहती थी, मगर पिता की मौत के बाद उसका यह सपना टूट गया। अपनी मां गुलाबकली, बहन पान केसर, धनकेसर, मानकेसर, भाई अमित और कृष्णा के भरण पोषण के लिए राजकेसर ने सिलाई कढ़ाई केंद्र शुरू किया। वह बेटे की तरह परिवार पालने लगी।

पिता की मौत के दौरान हुई मुलाकात

राजकेसर के पिता सालिकराम की जब मौत हुई तो उसी दौरान उसकी मुलाकात आशीष से हुई। आशीष की बहन की शादी राजकेसर के गांव में हुई थी। इस वजह से मुंगारी गांव के आशीष का गांव में आना जाना था। राजकेसर सिलाई कढ़ाई केंद्र चलाने के लिए जब रोज घर से निकलने लगी तो उसकी मुलाकात आशीष से होने लगी। राजकेसर ने अपनी तीनों बहनों का विवाह कर दिया। इस दौरान राजकेसर आशीष की मोहब्बत की गिरफ्त में आ गई। राजकेसर ने करीब दस लाख रुपये आशीष को देकर करछना में जमीन खरीदवाई और उस पर मकान का निर्माण शुरू कराया। आशीष और राजकेसर अक्सर इस मकान में रुकने लगे। यह बात धीरे धीरे आम होने लगी। गांव में तरह तरह की चर्चा शुरू हो गई। आशीष की शादी नहीं हुई थी। उसका व्यवहार भी खराब नहीं था। ऐसे में गांव में बदनामी के बावजूद घरवाले भी चाहते थे कि राजकेसर और आशीष की शादी हो जाए। धीरे धीरे राजकेसर की उम्र भी ज्यादा हो चली थी। ऐसे में घरवाले कोई रोक टोक नहीं करते थे।