प्रयागराज (ब्यूरो)। पार्क में थोड़ा ही सही सुधार दिखाई देने लगा है। छह मई को 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ में प्रकाशित अव्यवस्थाओं की खबर का बुधवार को बड़ा असर दिखाई दिया। बच्चों को लुभाने लिए बनाए गए जिन मवेशियों व जानवरों के स्टेच्यू की कंडीशन जर्जर थी, आज वह वह चमकते हुए नजर आ रहे थे। चिडिय़ाघर में भी साफ सफाई के साथ कुछ पक्षी भी अब कलरव करने लगे हैं। सबसे बड़ी यह कि गेट बच्चों के लिए लगाए गए जंपिंग झूले पर रेट बोर्ड टांग दिया गया है। खबर प्रकाशित होने के पहले इस झूले के लिए भी बच्चों के परिजनों से 30 रुपये मनमाने ढंग से वसूले जाते थे। अब इसी जंपिंग झूले का रेट बीस रुपये लगाए गए बोर्ड पर साफ-साफ लिखा गया है। परिसर में गोल-गोल घूमने वाला टूटे हुए एक झूले का भी मरम्मत हो चुकी है। इतना सब कुछ होने के बावजूद जिम्मेदार पब्लिक से टिकट के नाम पर वसूली का रास्ता बचा कर रखे हैं। बच्चों के मनोरंजन के लिए चलाई जा रही ट्रेन व इलेक्ट्रानिक झूले एवं स्लिपिंग स्टेच्यू सहित मुख्य काउंटर पर अब भी रेट बोर्ड नहीं लगाया गया है।
जंपिंग झूले पर 20 रुपये का बोर्ड
ज्यादातर स्कूलों में छोटे बच्चों की छुट्टियां हो चुकी हैं। इन बच्चों का मन बहलाने के लिए परिजन उन्हें लेकर हाथी पार्क पहुंच रहे हैं। करीब 15 दिन पूर्व तक इस पार्क अव्यवस्थाओं का चहुंओर अम्बार था। गेट से अंदर पहुंचते ही दाहिनी ओर बनाए मवेशियों व जानवरों के स्टैच्यू जर्जर हो चुके थे। चिडिय़ाघर में पक्षी तो दूर सफाई व्यवस्था भी ध्वस्त हो चुकी थी। अंदर इलेक्ट्रानिक झूला से लेकर जंपिंग झूला व चिल्ड्रेन ट्रेन व स्लिपिंग के लिए भी 30-30 रुपये के टिकट वसूले जा रहे थे। पार्क के अंदर भी जगह रेट बोर्ड दिखाई नहीं दे रहा था। लोगों से टिकट के नाम पर इस अवैध वसूली व अव्यवस्थाओं की वजह से पब्लिक की समस्या को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने प्रमुखता से उठाया। छह मई के अंक में प्रकाशित 'हाथी दांत बना हाथी पार्कÓ शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई। पार्क में आने वाली पब्लिक और बच्चों की इस समस्या को लेकर प्रकाशित खबर को प्रयागराज विकास प्राधिकरण के द्वारा गंभीरता से संज्ञान लिया। खबर छपने के करीब एक हफ्ते में ही इस पार्क के अंदर कई बड़े बदलाव देखने को मिलने लगे।
बच्चे उठा रहे हैं अब पूरा लुत्फ
जर्जर व एक परत की गाय सहित अन्य मवेशियों व जानवरों के स्टैच्यू का मरम्मत करके ह्वाइट सीमेंट से पेंट कर दिया गया है। अब इसे देखकर बच्चे प्रफुल्लित हो रहे हैं। जिस चिडिय़ाघर में हफ्ते भर पहले गंदगी से दुर्गंध उठ रही थी आज वहां साफ सफाई भी हो चुकी है। सभी पिंजरे में तो नहीं पर कुछ में पक्षी भी नजर आने लगे थे। बुधवार को बच्चों संग बड़े भी इस पार्क के अंदर इन सब का लुत्फ उठाते हुए दिखाई दिए।
यहां क्यों नहीं लगा रेट बोर्ड साहब?
पार्क के अंदर इलेक्ट्रानिक झूला, बच्चों के लिए चलने वाली ट्रेन और स्लिप करने वाले प्लास्टिक के स्टैच्यू से एवं मुख्य टिकट काउंटर के पास रेट का बोर्ड अब भी नहीं लगा है। पूछने पर लोग बताते हैं कि शुल्क तीस रुपये लिए जा रहे हैं। मगर, कर्मचारी हर जगह मात्र बीस रुपये प्रति टिकट का रेट चिल्ला रहे हैं। सवाल यह है कि जब जंपिंग झूले पर 20 रुपये का रेट बोर्ड टांग दिया गया है तो फिर टिकट के काउंटर सहित अन्य स्थानों पर यह रेट बोर्ड क्यों नहीं? इसके पीछे यहां जिम्मेदारों की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। काउंटर पर रेट लिस्ट नहीं होने के सवाल पर पर्ची देने वाले ने वह बोर्ड दिखाया जो जंपिंग झूले के गेट पर लगा हुआ था। शेष अन्य जगह रेट बोर्ड क्यों नहीं लगा? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं रहा।