प्रयागराज (ब्यूरो)। बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र की गिरि की बॉडी पिछले महीने मठ के उनके कमरे मिली थी। उनके गले में छत के हुक से रस्सी बंधी हुई थी। सूचना पर पहुंचे अफसरों ने पूछताछ और छानबीन के बाद महंत द्वारा सुसाइड की बात कही गई थी। कमरे में पुलिस के हाथ एक सुसाइड नोट भी लगा था। जिसमें महंत नरेंद्र गिरि की तरफ से उनके करीबी शिष्य रहे आनन्द गिरि व हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद और पुजारी के बेटे संदीप की वजह से सुसाइड की बात कही गई थी। महंत के सुसाइड की खबर सुन खुद मुख्यमंत्री उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए आए थे। सीएम ने पूरे प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी थी। बाद में तफ्तीश की गेंद सीएम की सिफारिश पर सीबीआई के पाले में चली गई।
कस्टडी में लेकर हो चुकी पूछताछ
मामले की जांच कर रही सीबीआई आरोपितों को कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ कर चुकी है। छानबीन में जुटी सीबीआई एक बार फिर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरेंद्र नाथ की अदालत में एक अर्जी दी। जिसमें आरोपितों की पॉलीग्राफी टेस्ट करवाने के लिए कोर्ट से याचना की गई थी। अर्जी पर सोमवार को न्यायाधीश के सामने सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अभियोजन अधिकारी व आरोपितों के अधिवक्ता विजय कुमार द्विवेदी एवं सुधीर कुमार श्रीवास्तव ने जमकर बहस की। अधिवक्ताओं के तमाम तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने सीबीआई की इस अर्जी को खारिज कर दिया।
आरोपित बोले, परेशान करने वाली कार्रवाई
सुनवाई के बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपितों आनन्द गिरि, आद्या प्रसाद व संदीप से सवाल किया कि क्या वह पालीग्राफी टेस्ट के लिए तैयार हैं? इस पर आरोपितों ने सहमति देने से इंकार करते कहा कि यह परेशान करने वाली कार्रवाई है। बताते चलें कि सीबीआई ने पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए 12 अक्टूबर को सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी गई थी। आरोपितों का पक्ष रखने के लिए उनके अधिवक्ताओं ने कोर्ट से समय मांगा था।
दूसरी अर्जी पर बढ़ी अभिरक्षा डेट
सीबीआई की एक दूसरी अर्जी को अदालत ने स्वीकार किया। जिसमें सीबीआई की ओर से कहा गया था कि मामले की विवेचना अभी पूरी नहीं हो सकी है। इस लिए तीनों आरोपितों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल में रहने की अवधि बढ़ा दिया जाय। इस अर्जी को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने आनन्द गिरि समेत तीनों आरोपितों की न्यायिक अभिरक्षा 30 अक्टूबर तक बढ़ा दी।