प्रयागराज (ब्यूरो)।कर्नलगंज में बैंक रोड पर जूस विक्रेता को पैसा मांगने पर गोली मारी गई थी। पुलिस ने तीनों युवकों को पकड़ा तो पता चला कि विवि के आसपास की दुकानों पर मुफ्तखोरी की आदत थी इनको। तीनों से अगर कोई पैसा मांगता था तो वे दुकानदार को धमका कर शांत करा देते थे। मगर जूस विक्रेता भिड़ गया और उसको जान के लाले पड़ गए। पुलिस ने तीनों युवकों के कब्जे से पिस्टल और तमंचा बरामद किया है।
प्रतापगढ़ के मानधाता का रहने वाला आर्यन पांडेय प्रयाग स्टेशन के पास किराए पर रहता था। वह पढ़ाई के साथ अपना खर्च चलाने के लिए बैंक रोड पर जूस की दुकान भी चलाता था। मंगलवार रात वह दुकान बढ़ा रहा था। तभी तीनों वहां पहुंच गए। जूस पीने के बाद वे जाने लगे तो आर्यन ने पैसा मांगा। इस पर एक युवक ने पिस्टल से उसे गोली मार दी। गोली आर्यन के चेहरे को चीरते हुए जबड़े में धंस गई। कर्नलगंज इंस्टपेक्टर राममोहन राय ने जांच शुरू की तो पता चला कि गोली मारने वालों में अनुभव सिंह उर्फ अन्नू दरोगा ने साथियों के साथ मिलकर वारदात की है। इस पर इंस्पेक्टर ने मुखबिरों को लगाया तो तीनों आईईआरटी मैदान के पास से पकड़ लिए गए। इंस्पेक्टर के मुताबिक अमेठी मुंशीगंज के अनुराग सिंह उर्फ काका, अंबेडकर नगर जलालपुर के पंकज पाठक और मीरजापुर जैतपुर के अनुभव सिंह उर्फ अन्नू दरोगा को गिरफ्तार किया गया है।
मुफ्तखोरी ने बना दिया अपराधी
मुफ्तखोरी की आदत ने अन्नू दरोगा और उसके साथियों को अपराधी बना दिया। अकेले अन्नू दरोगा के खिलाफ हत्या की कोशिश, बलवा, धमकाने के 14 केस हैं। पुलिस के मुताबिक तीनों पहले हालैंड हाल में अवैध रूप से रहते थे। वहां सख्ती होने के बाद तीनों सर्वेंट क्वाटर में रहने लगे।
तीनों ने पिया था एक गिलास जूस, जिसकी कीमत थी साठ रुपये
तीनों ने एक एक गिलास जूस पिया था। जोकि साठ रुपये का हुआ। जबकि पिस्टल की कारतूस की कीमत दो सौ रुपये से कम की नहीं है। ऐसे में जितने का जूस नहीं उससे महंगी कारतूस खर्च कर दी। पुलिस को पूछताछ में पता चला कि तीनों को मुफ्तखोरी की आदत थी। जिसकी वजह से दुकानदार उससे बहुत परेशान थे। ये बात शायद आर्यन को पच नहीं पाती थी। कई बार तीनों ने उसकी दुकान पर जूस पिया था। मगर मंगलवार रात पैसे देने की बात पर मामला बढ़ गया और काका ने गोली चला दी।
चंद रुपये के लिए बन गई जान पर
आर्यन भी अपने को लगाता था। जूस की दुकान उसने जरुर खोल रखी थी लेकिन वह मामूली बात ग्राहकों से बहस कर लेता था। शायद उसकी इसी आदत ने उसे मौत के मुंह में पहुंचा दिया। साठ रुपये के जूस के लिए अगर वह झगड़ा न करता तो शायद उसके परिवार के लोगों को इतनी परेशानी न देखनी पड़ती। वह चाहता तो बाद में पुलिस से शिकायत भी कर सकता था लेकिन वह तैश में आ गया और बात बिगड़ गई।