प्रयागराज (ब्यूरो)।
पूरा जिला सवालों के घेरे में
जिले के 11 ब्लॉक सहित शहर में पानी का लेवल तेजी से घट रहा है।
तीन ब्लॉक भगवतपुर, बहरिया और चाका को क्रिटिकल स्टेज में रखा गया है।
बहादुरपुर, धनुपुर, होलागढ़, मऊआइमा, प्रतापपुर, सहसों, सैदाबाद, श्रंगवेरपुर को सेमी क्रिटिकल स्टेज मे रखा गया है।
शहर ने इन सबको काफी पीछे छोड़ दिया है। लगभग सभी एरिया में पानी का स्टेटा काफी नीचे है।
किसी भी एरिया में पानी का लेवल कम से कम 8 मीटर होना ही चाहिए।
यहां हैं सोचने वाली स्थिति
स्थान भूगर्भ जल का लेवल
पीपल गांव 26.20 मीटर
बेली अस्पताल 20.50 मीटर
आईईआरटी रानीपुर 24.85 मीटर
सदर तहसील 24.75 मीटर
प्रधान डाकघर 16.90 मीटर
पुलिस लाइन 18.60 मीटर
कौन है जिम्मेदार
भूगर्भ जल विभाग की माने तो इस स्थिति के लिए आरओ वाटर प्लांट, वाशिंग प्लांट, इंडस्ट्रीज, होटल्स, हास्पिटल्स, वाटर पार्क, शापिंग मॉल आदि जिम्मेदार हैं। यह भूगर्भ जल का अति दोहन कर रहे हैं। घर में लगे मर्सिबल पंप से रोजाना भारी मात्रा में पानी का उपयोग हो रहा है।
इस नियम का करना होगा पालन
उप्र भूगर्भ जल अधिनियम 2019 के तहत अंडर ग्राउंड वाटर का अति दोहन करने वाले प्रतिष्ठानों को भूगर्भ जल विभाग से एनओसी लेनी होगी।
बताना होगा कि रोजाना वह कितना पानी उपयोग में ला रहे हैं। उसका शुल्क देना होगा। यह एनओसी पांच साल के लिए ही होगी।
इन प्रतिष्ठानों में विभाग की ओर से रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था होगी ताकि वर्षा जल संचय हो सके
सभी प्रतिष्ठानों को एनओसी के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
विभाग का कहना है कि अभी ऐसे प्रतिष्ठान खुद आगे नही आ रहे हैं।
जल्द ही कड़ाई बरती जाएगी और बिना एनओसी चलते पाए जाने पर अधिकतम 7 साल की कैद और 20 साल तक अर्थदंड लगाने का प्रावधान किया गया है।
इसलिए अभी तक बचे हैं हम
प्रयागराज गंगा और यमुना के बीच में स्थित न होता तो स्थिति अधिक बदतर हो सकती थी। नदियों की वजह से वाटर लेवल में गनीमत है। हर साल बारिश के बाद स्टेटा बढ़ता है। दोहन इतना ज्यादा है कि कुछ माह में ही वापस वाटर लेवल नीचे चला जाता है।
भूगर्भ जल के अति दोहन में प्रयागराज शहर अन्य ब्लॉकों से कहीं आगे है। वर्षा का जल नालियों से बह जाता है लेकिन उसका संचय नही किया जाता। जो अति दोहन कर रहे हैं उनको चिंहित किया गया है और उनसे एनओसी लेन केी अपील की जा रही है। ऐसा नही करने पर उनके खिलाफ जेल जाने के साथ अर्थदंड लगाने की भी कार्रवाई की जानी है।
अर्चना सिंह
हाइड्रोलाजिस्ट, भूगर्भ जल विभाग प्रयागराज