प्रयागराज (ब्यूरो)।काल्विन अस्पताल में आने वाले मरीजों को गुरुवार से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हॉस्पिटल में अब केवल एक ही फिजीशियन उपलब्ध रहेगा। इसकी वजह से ओपीडी मे जबरदस्त भीड़ हो सकती है। बता दें कि बुधवार को पहले से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे काल्विन अस्पताल के दो डॉक्टर रिटायर हो गए। जबकि शासन की ओर से अभी तक मरीजों की सहूलियत के लिए कोई वैकल्पिक इंतजाम नही किए गए हैं।
पहले से चल रही थी क्राइसिस
काल्विन अस्प्ताल में अभी तक दो फिजीशियन मौजूद थे। इसके बावजूद रोजाना मरीजों को दिखाने के लिए मारामारी करनी पड़ रही थी। प्रत्येक डाक्टर की ओपीडी में डेढ़ सौ से अधिक मरीज पहुंच रहे थे। लेकिन बुधवार को इनमे से डॉ। संजीव कुमार यादव रिटायर हो गए। इसके बाद गुरुवार से केवल एक फिजीशियन ही इस अस्प्ताल में उपलब्ध रहेगा। उसे अकेले 300 मरीज देखने पड़ सकते हैं। इसकी वजह से तमाम मरीजों को निराश होकर वापस लौटना पड़ेगा। देर शाम तक अस्पताल में वैकल्पिक तौर पर किसी नए फिजीशियन की तैनाती नही की जा सकी थी।
सर्जरी में भी होगी किल्लत
हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग में भी अभी तक तीन सर्जन थे। इनमें से एक डॉ। बीके सिंह भी बुधवार को रिटायर हो गए हैं। इसके बाद सर्जरी विभाग में भी गुरुवार से किल्लत हो सकती है। पूरा प्रेशर बाकी दो सर्जन पर आ जाएगा। बता दें कि अभी तक अस्पताल मे 20 डॉक्टर थे, अब इनकी संख्या घटकर 18 पर रह गई है। उधर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि शासन के पास पहले से डॉक्टरों की कमी है, ऐसे में रिटायर होने के बाद आसानी से भरना मुश्किल होता है।
शहर पश्चिमी और दक्षिणी का दबाव
शहर में दो बड़े सरकारी अस्पताल हैं। इनमें से बेली अस्पताल पर शहर उत्तरी के मरीजों का अधिक दबाव होता है, जबकि काल्विन अस्पताल में शहरी पश्चिमी और दक्षिणी के अधिक मरीज पहुंचते हैं। इनकी संख्या रोजाना ढाई से तीन हजार होती है। इसमें से तीन से चार सौ मरीज सामान्य बीमारियों के होते हैं, जिन्हे इलाज के लिए फिजीशियन की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि अधिक भीड़ होने पर मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों रुख करना पड़ता है। जहां पर इलाज, परामर्श और दवाएं सभी सरकारी के मुकाबले काफी महंगी होती हैं।
शासन के पास भी डॉक्टरों की कमी है। रिटायरमेंट की जानकारी शासन को भेज दी गई है। वहां से अगले निर्देश का इंतजार किया जा रहा है।
डॉ। वीके मिश्रा
जेडी, स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज