प्रयागराज (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत में प्रो। रिजवी ने बताया कि उन्होंने अपने इस रिसर्च का प्रयोग चूहों पर भी किया है। जिसमें उनको सकारात्मक संकेत मिले हैं। उन्होंने बताया कि आज के समय में पहले अच्छा खाना होने के बाद भी लोगों में अब जल्द बुढ़ापा आने लगा है। इसी बात को लेकर उन्होंने अपनी टीम के साथ रिसर्च शुरू किया। इस दौरान उन्होंने बड़ी उम्र और छोटी उम्र के चूहों के खून, ब्रेन, किडनी निकाल कर दोनों में आए फर्क पर स्टडी शुरू की। इस दौरान उनके नेतृत्व में उनके रिसर्च स्कॉलर इन चूहों को एक दिन रूक कर खाना देते थे या कुछ चूहों को इंटरमिटेंट फास्टिंग करते थे। इसके रिजल्ट से पता चला कि ये अच्छी स्ट्रैटिजी है। दोनों तरह के चूहों के बॉडी पार्ट की जांच से पता चला कि उनके अंदर क्या -क्या बदलाव हुए है।
कैलरिक रिस्ट्रिक्शंस का प्रभाव
उन्होंने बताया कि रिसर्च के दौरान कैलिरिक रिस्ट्रीक्शन बुढ़ापे को हलका करने में कारगर है। चूहों पर हुए प्रयोग के दौरान उनकी उम्र डेढ़ गुना बढ़ गई। हालांकि ह्यूमन पर अभी इसका प्रयोग होना बाकी है। ये तरीका इंसानों पर अपनाना मुश्किल है। इंसानों की कैलोरी कम करने पर कई साइड इफेक्ट होते है। जिससे जिंदगी खराब हो सकती है।
नए गु्रप केमिकल पर हो रहा वर्क
प्रो। रिजवी ने बताया कि उनका ग्रुप ऐसे केमिकल पर फिलहाल वर्क कर रहा है। जिसको खाने से हमारी बॉडी ये समझेगा कि हमने कम खाना खाया है। इंसानों के लिए ऐसा कंपाउंड तैयार किया है। जिसमें बॉडी लगता है कि कम खाना खाया है। एक दवा है मेट फार मीन (ये एन्टी डायबिटिक) दवा है। रिसर्च में यह पता चला है कि ये बॉडी को बताता है कि कम खाना खाया है। इसके अलावा कई और केमिकल है। जिस पर रिसर्च चल रहा है कि बुढ़ापा आने की रफ्तार को कैसे कम किया जा सकता है। अब तक 18 देशों में अपने रिसर्च पर लेक्चर दे चुके प्रो। एसआई रिजवी ने बताया कि पाल्युशन और खान-पान बुढ़ापा तेज होने का सबसे बड़ा कारण है।
अभी तक के रिसर्च और चूहों पर हुए प्रयोग में कैलिरिक रिस्ट्रीक्शन बुढ़ापे को हलका करने में कारगर साबित हुआ है। इंसानों पर इसके प्रभाव को लेकर फिलहाल कई रिसर्च चल रहे हैं।
प्रो। एसआई रिजवी
बायोकमेस्ट्री डिपार्टमेंट, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी