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रेप के केस इस वर्ष अब तक दर्ज हुए

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केस में नहीं मिले साक्ष्य लगाई एफआर

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मुकदमे अब तक छेड़खानी के लिखे गए

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छेड़खानी के केस दर्ज हुए थे मई तक

जाल में फंसाने के बाद फर्जी मुकदमे दर्ज करा या रेप की तहरीर देकर फरेबी महिलाएं करती हैं वसूली

PRAYAGRAJ: बुलाती है मगर जाने का नहीं! यह पंक्ति यूं तो युवा वर्ग में काफी फेमस है। मगर, इसके भाव को जीवन का सिद्धांत बना लें तो ही बेहतर है। क्योंकि थोड़ी सी चूक बड़ी मुसीबत में डाल सकती है। ऐसा करने वाली महिलाओं व बालाओं का सैक्स रैकेट सिटी से गांव तक एक्टिव है। रुपये लेकर हमबिस्तर होने वाली यह महिलाएं व युवतियां रात गई बात गई तक नहीं रहती हैं। जाल में फंसाने के बाद रेप या छेड़खानी की तहरीर देकर समझौते का दबाव बनाती हैं। समझौते के नाम पर वह बड़े एमाउंट की डिमांड करती हैं।

नहीं मिले सुबूत तो लगाई एफआर

थानों में जनवरी से 15 मई तक जिले भर में रेप व छेड़खानी की करीब 150 एप्लीकेशन पड़ी।

50 से ज्यादा प्रार्थना पत्र वापस ले लिए गए, या फिर पीडि़ता ने समझौता कर लिया।

जनवरी से 15 मई तक जिले भर में 41 रेप के केस दर्ज हुए हैं। पुलिस को चार केस में सुबूत व साक्ष्य मिले ही नहीं है। नतीजतन पुलिस को इन चारों केस में एफआर लगाना पड़ा।

अब हम पिछले वर्ष 15 मई तक दर्ज केस पर एक नजर डालते हैं। गत वर्ष इस तारीख तक करीब 43 रेप के केस लिखे गए। उस वक्त इन प्रकरणों की विवेचना में दस मामले फेक मिले।

सामने आई इस घटना से लें सबक

सोमवार को पकड़ी गईं सेक्स रैकेट चलाने वाली दो महिलाओं की हरकत कानून का दुरुपयोग करने वाला रहा है।

वह रुपये लेकर हमबिस्तर हुआ करती थीं।

- इसके बाद जाल में फंसाकर उन लोगों के खिलाफ रेप या गैंग रेप की तहरीर देती थीं।

- रुपये पर समझौता होने के बाद वे तहरीर वापस ले लिया करती थीं।

- इनके जरिए कौंधियारा व करछना में फेक तहरीर दी भी जा चुकी है।

- झूंसी में तो वह फेक रेप केस लिखाने में सफल भी हो गई थीं।

रेप व छेड़खानी में जानिए क्या है सजा

धारा सजा

रेप 376 10 साल से आजीवन तक

छेड़खानी 354 03 साल से 07 सात तक

दोनों धारा में सजा केस साबित होने पर

अधिकार का करतीं हैं दुरुपयोग

अधिवक्ताओं की मानें तो फरेबी महिलाएं या युवतियां कानून में प्रदत्त अधिकारों का लाभ उठाती हैं। कहते हैं कि रेप के मामले में महिला का कहना ही प्रथम दृष्टया पर्याप्त माना जाता है। यही कंडीशन ऑफ लॉ छेड़खानी 354 में भी है। अब चूंकि कानून कहता है कि इनका कहना ही पर्याप्त है। लिहाजा तहरीर लेना और उस पर कार्रवाई करना पुलिस की कानूनी मजबूरी होती है।

महिला झूठ ही सही यदि वह कहती हैं कि रेप हुआ तो मुकदमा दर्ज करने का प्राविधान है। विवेचना व छानबीन में क्या साक्ष्य व सुबूत वह दे पाती है या पुलिस खोज पाती है यह बात का मैटर है। फर्जी मुकदमे दर्ज करने वाली महिलाएं या युवतियां इसी का लाभ उठाती हैं। ऐसे तमाम केस सामने आए हैं जिनमें मुकदमा दर्ज होने के बाद समझौते हुए हैं।

पंकज त्रिपाठी, अधिवक्ता जिला कचहरी