प्रयागराज ब्यूरो । लाखों घरों का अप्रैल का बजट बिगडऩे जा रहा है। कारण दवाओं की बढ़ी हुई कीमतें हैं। सरकार ने एक अप्रैल से दवाओं की कीमतों में 12 फीसदी तक बढ़ोतरी की है। इसका असर भी जल्द दिखने लगेगा। लोगों का कहना है कि दवाओं की कीमतें नही बढ़ाई जानी चाहिए थीं। जो लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, उनके लिए यह महंगाई जानलेवा साबित हो सकती है।
अकेले 15 फीसदी हैं डायबिटीज के मरीज
बीमारियों की बात करें तो सबसे ज्यादा डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की बीमारी है। शहर में 15 फीसदी शुगर पेशेंट हैं तो 16 फीसदी मरीज बीपी के हैं। इनको हर महीने पांच से दस हजार की दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। क्योंकि इन बीमारियों की वजह से शहर में अन्य गंभीर बीमारियां भी अपना घर बनाने लगती हैं। इसके अलावा हार्ट, गैस्ट्रो, अस्थमा और महिला रोगियों की संख्या भी लाखों में है। इन सभी को महंगी दवाओं की चपेट में आकर महंगाई का सामना करना पड़ेगा।
किस दवा के दाम कितने फीसदी बढ़े
बीमारी बढ़ोतरी (फीसदी में)
आईपीएम 5.8
कार्डियक 8
एंटी इंफेक्शन 6
गैस्ट्रो 8.3
डायबिटीज 4
विटामिंस 6.1
रेस्पेरेटरी 7.2
पेनकिलर 7.4
चर्म रोग 6.3
गायनी 5.9
आंखों से संबंधित 7
कैसे मैनेज करेंगे दवाओं का खर्च
बेली गांव के रहने वाले दिवाकर राव की उम्र 66 साल है। पेंशन से उनका खर्च चलता है। उन्हें तीन साल पहले पेट की बीमारी हो गई। इसकी वजह से उनका इलाज चल रहा है और हर महीने उन्हें सात हजार की दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। सरकार ने आठ फीसदी तक गैस्ट्रो की दवाओं के दाम बढ़ाए हैं। वह कहते हैं कि वैसे भी पेंशन से मुश्किल से खर्च चल रहा था। अब दवाओं पर अधिक खर्च करना मुश्किल होगा। यह पैसा कहां से मैनेज होगा पता नही।
घर के दूसरे खर्च होंगे प्रभावित
49 साल के शेखर श्रीवास्तव एक निजी बैंक में फील्ड सुपरवाइजर हैं। उन्हें पांच चार साल पहले डायबिटीज हुई थी। इसके बाद बीपी की शिकायत भी रहने लगी। उन्हें हर माह पांच हजार दवाओं पर खर्च करना पड़ता है। वह कहते हैं कि कुल आठ फीसदी तक दवाओं पर अधिक खर्च करना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें घर की दूसरी चीजों के बजट में कटौती करनी पड़ सकती है। क्योंकि दवा छोडऩा उनकी सेहत के लिए सही साबित नही होगा।
बढ़ गयी मुश्किल किसे सुनाएं समस्या
इसी तरह संगीता तिवारी एक हाउस वाइफ हैं। उनकी सांस की प्राब्लम है। हर महीने उन्हें डॉक्टर को दिखाने के साथ हजारों की दवाएं लेनी पड़ती हैं। उनके पति किराने की दुकान चलाते हैं। घर का खर्च मुश्किल से चलता है। वह कहती हैं कि इस हालत में दवाओं की महंगाई उनके परिवार के मुश्किल साबित होगी। कहती है कि सरकारी अस्पताल में दिखाने पर बढिय़ा दवाएं नही मिलती। वहा के डॉक्टर भी बाजार से खरीदने की सलाह देते हैं।
अब तक की सबसे बढ़ी महंगाई
जानकारों का कहना है कि अब तक कि दवाओं की यह सबसे बड़ी महंगाई है। इसके पहले 2018 और 2022 में 0.5 और 4.2 फीसदी दवाओ ंको महंगा करने की परमिशन दी गई थी। इस बार लगभग सभी प्रकार की बीमारियों की 384 से अध्ािक तरह की दवाओं को शामिल किया गया है। अभी तक सरकार ने इट्राकोनाजोल कैप्सूल समेत 25 दवाओं की कीमतें भी निर्धारित की दी है। एंटी-फंगल दवा इट्राकोनाजोल के एक कैप्सूल की कीमत 20.72 रुपए, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक या स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए प्रयोग की जाने वाली टेल्मिसर्टन क्लोर्थालिडोन की एक टेबलेट की कीमत 8.04 रुपए और सर्दी, जुखाम व नाक बहने जैसे एलर्जी लक्षणों के इलाज में इस्तेमाल लेवोसेटिरिजिन मोंटेलुकास्ट और एंब्रॉक्सोल (एसआर) की एक टैबलेट के दाम 15.39 रुपए तय किए गए हैं।
दवाओं की कीमतों को 12 फीसदी तक महंगा करना ठीक नही है। इससे आम जनता के कंधों पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा। लोगों का घर का बजट खराब होगा।
राजेश श्रीवास्तव
सीनियर सिटीजन
सभी के घरों में एक या दो लोग ऐसे हैं जिनकी किसी बीमारी की कंटीन्यू दवा चलती है। जिसका खर्च हजारों में होता है। ऐसे में कीमतें इतनी अधिक बढ़ेंगी तो लोगों को इलाज कराना मुश्किल हो जाएगा।
जय कुमार
प्रोफेशनल
दवाओं के दाम बढ़ेंगे तो इलाज भी महंगा होगा। इसका असर सीधे मरीजों पर पड़ेगा। पहले कुछ सालों में भी दाम बढ़े थे। कुछ बीमारियों की दवाएं तो पहले से महंगीा आ रही थीं। अब तो स्थिति अधिक गंभीर हो जाएगी।
डॉ। राजीव सिंह
संचालक, नारायण स्वरूप हॉस्पिटल
सरकार की ओर से इंफेकशन की दवा इंटाकोनाजोल के दाम बढ़ाए जाने के निर्देश आए हैं। धीरे धीरे तमाम दवाएं महंगी होंगी और इसका असर आम आदमी पर पड़ेगा। दवा के बाजार का आकार भी बड़ा होगा।
परमजीत सिंह
अध्यक्ष, इलाहाबाद ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन
बहुत से ऐसे मरीज आते हैं जिनके पास दवा खरीदने के पैसे नही होते हैं। ऐसे लोगों की सहायता करनी पड़ती है। अब दवाओं के दाम अधिक बढ़ रहे हैं। ऐसे में आम आदमी का इलाज कराना मुश्किल होगा।
तरंग अग्रवाल
दवा विक्रेता