- सिविल लाइंस और जीरो रोड बस स्टैंड पर बने सार्वजनिक शौचालय बदहाल

- गंदगी इतनी कि उपयोग करने के दौरान आने लगता है चक्कर

PRAYAGRAJ: सिटी के रोडवेज बस स्टैंड परिसर में लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए शौचालय अधिकारियों की उपेक्षा के चलते बदहाल हैं। पैसेंजर और आम लोग यहां पसरी गंदगी और दुर्गध से मुंह चिढ़ाते हुए नजर आते हैं। बावजूद इसके अधिकारी मरम्मत कराने से जहमत नहीं उठा रहे हैं। शौचालय में गंदगी इतनी है कि उपयोग करने के दौरान चक्कर आने लगता है। कहीं तो पानी के अभाव में शौचालय बंद ही रखे गए हैं। ऐसी ही कुछ अव्यवस्थाओं के बारे में पता चला जब दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने बस स्टैंड पर बने शौचालय का रियलिटी चेक किया। सिविल लाइंस और जीरो रोड बस स्टैंड पर बने सार्वजनिक शौचालय का हाल-बेहाल मिला।

रेट है फिक्स फिर भी सुविधा नहीं

मंगलवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रिपोर्टर ने सिविल लाइंस और जीरो रोड बस स्टैंड पर बने सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई व व्यवस्था के बारे में रियलिटी चेक किया। इन दोनों जगहों पर बने सार्वजनिक शौचालय में हर चीज का शुल्क फिक्स है। बावजूद साफ-सफाई की व्यवस्था सिर्फ नाम की है। बस स्टैंड पर मौजूद यात्रियों ने बताया कि शौचालयों में सफाई तो होती है, लेकिन दिखावे के लिए। हालांकि नगर निगम की ओर से शौचालयों के रखरखाव के लिए ठेका दिया जाता है। उसके बाद शौचालयों का इस्तेमाल करने के लिए ठेकेदार द्वारा 5 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से वसूले जाते हैं। स्नान के लिए दस रुपये निर्धारित है। फिर भी बस स्टैंड के शौचालयों की सफाई ठीक नहीं है। लोगों का बस यही कहना है कि पैसा ले रहे लेकिन सुविधा नहीं दे रहे हैं। आखिरी लेने वाला पैसा जा कहां रहा है।

सफाई का सारा काम टाइमपास की तरह निपटाया जा रहा है। शौचालयों की हालत देखकर ऐसा लगता है कि जैसे रोज साफ-सफाई सिर्फ दिखावे के लिए हो रही है। अगर शुल्क ले रहे हैं तो साफ-सफाई की व्यवस्था तो दें। अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए।

नीलम श्रीवास्तव पैसेंजर

शौचालय के इस्तेमाल के लिए ठेकेदार को पांच रुपये तो दे दिए। मगर, शौचालय में फैली गंदगी के कारण इसका इस्तेमाल नहीं कर सके। इस बारे में जब उन्होंने पैसे लेने वाले व्यक्ति से शिकायत की, तो उसने इसका हल कर सकने में असमर्थता जताई।

सावित्री देवी, पैसेंजर

इस तरह के शौचालयों के इस्तेमाल से तो आदमी बीमार पड़ जाये। यहीं कारण है कि आदमी खुले में शौच करने को मजबूर है। पैसा लिया जाता है मगर सुविधा जीरो है। अधिकारियों को साफ-सफाई की व्यवस्था बीच-बीच में चेक करते रहना चाहिए।

आंनद राय पैसेंजर

सार्वजनिक शौचालय के इस्तेमाल से बीमार होने का हमेशा डर लगा रहता है। इनको देखने तक का मन नहीं करता है। जबकि इसके प्रयोग के लिए भइया लोग बकायदा शुल्क लेते हैं। तब यह आलम है। गंदगी और दुर्गध के कारण चक्कर आने लगता है।

विदिशा त्रिपाठी, पैसेंजर