प्रयागराज (ब्‍यूरो)। अल्लापुर के तुलसी मंच पर रामलीला मंचन का प्रारंभ श्रीराम जन्म से प्रारंभ हुआ। श्रीराम जन्म प्रसंग के मंचन में महाराजा दशरथ के यहां पुत्रों के जन्म होने पर संपूर्ण अयोध्या में उत्सव का माहौल हो जाता है नगरवासी एक दूजे को बधाइयां देते हैं और आकाश से देवगण भगवान के बाल रूप का दर्शन कर रहे हैं और पुष्पवर्षा करते हुए गान करते हैं

इसके बाद विश्वामित्र आगमन और ताड़का वध का मंचन हुआ। प्रसंग के तहत राक्षसों के आतंक से त्रस्त होकर मुनि विश्वामित्र अयोध्या आते हैं और राजा दशरथ से श्रीराम लक्ष्मण को साथ ले जाने की इच्छा प्रकट करते हैं तब महाराज को असमंजस में देख मुनि वशिष्ठ ने मार्गदर्शन किया और विश्वामित्र राम लक्ष्मण को साथ लेकर जंगल की ओर चल देते हैं।

मार्ग में एक अति विशाल राक्षसी आती है और जोर से अट्टहास करती है तब मुनि की आज्ञा से श्रीराम ने एक ही बाण उसके मस्तक पर मारकर उसका अंत कर दिया। अंत से ऋषि मुनि प्रसन्न हो उठते हैं भगवान के चहुंओर जयकारे लगने लगते हैं ।

इससे पूर्व डिप्टी कंट्रोलर नरेंद्र शर्मा और राकेश कुमार तिवारी ने संयुक्त रूप से भगवान की आरती कर भोग लगाया ।

रामलीला में प्रमुख रूप से केशवनाथ मिश्र, पंकज कुमार पांडेय, सुरेंद्र पाठक,

कुंज बिहारी मिश्र, सुधीर द्विवेदी, बाबुल त्रिपाठी,रामाश्रय दुबे उपस्थित रहे।