प्रयागराज ब्यूरो । रविवार शाम आंधी आई तो संगम में लहरों ने मौत का तांडव कर दिया। पांच छात्र लहरों में गुम हो गए। सोमवार को पांच में से चार का शव बरामद कर लिया गया। जल पुलिस ने छतनाग और अरैल से चार शव बरामद किए। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। एक छात्र का शव देरशाम तक बरामद नहीं हो सका। वहीं, एक अज्ञात शव भी मिला है। जिसके शिनाख्त का प्रयास जारी है। हालांकि दारागंज पुलिस को किसी के गायब होने की सूचना नहीं दी गई है। ऐेसे में अंदाजा है कि शव कहीं और से बहकर आया है।
रविवार शाम को रोज की तरह लोग संगम में नहा रहे थे। करीब पांच बजे अचानक हवाओं का रुख तेज हुआ। कुछ ही देर में हवाओं ने आंधी का रूप ले लिया। देखते ही देखते संगम में लहरें उठने लगीं। इस दौरान करीब नौ लोग गहरे पानी में चले गए। हल्ला मचा तो जल पुलिस के जवानों ने जल में छलांग लगाई। चार तो तुरंत बचा लिए गए। मगर बाकी के पांच छात्र गहरे जल में गुम हो गए। बिहार का रहने वाला विशाल यहां कर्नलगंज में किराए पर रहता था। वह एनडीए की तैयारी कर रहा था।
जाने से पहले पहुंची मौत की खबर
संगम में डूबा महेश्वर वर्मा (23) यहां मु_ीगंज में किराए का कमरा लेकर रहता था। वह एलएलबी कर रहा था। साथ ही कचहरी भी जाता था। वह मऊ जिले के दक्षिण टोला के प्यारे का पूरा का रहने वाला था। उसके पिता छोटे लाल सराफा की दुकान पर कारीगर का काम करते हैं। रविवार रात को करीब आठ बजे वह घर पर थे। अचानक फोन गया। महेश्वर के डूबने की खबर सुनते ही मोबाइल हाथ से छूट गया। शरीर कांप उठा। पत्नी गीता देवी को खबर बताते बताते वह कांप उठे। आनन फानन में वह परिजनों के साथ प्रयागराज के लिए रवाना हो गए। यहां पर उनके रिश्तेदार संदीप वर्मा सलोरी में रहते हैं। सूचना पाकर संदीप संगम नोज पहुंच चुके थे। महेश्वर को देेेो चार दिन में ही गांव जाना था। घरवाले उसके आने का इंतजार कर रहे थे, मगर उसके पहुंचने से पहले उसकी मौत की खबर घर पहुंची।
जब लेना था तो दिया क्यों?
सोमवार को सुबह छह बजे महेश्वर के पिता परिजनों के साथ संगम नोज पर पहुंच गए। करीब नौ बजे बेटे का शव मिलने की जानकारी पुलिस ने दी तो वह रोने लगे। महेश्वर के पिता छोटे लाल हर साल माघ मेले में संगम नहाने आते थे। गंगा जी को हाथ जोड़कर छोटे लाल बोले जब बेटे को लेना था तो दिया क्यों। छोटे लाल ने बताया कि वह महेश्वर को गंगा जी का प्रसाद मानते थे। इसलिए वह कभी महेश्वर को गंगा नहाने से नहीं रोकते थे। महेश्वर भी अक्सर गंगा नहाने जाता था।
बेटे को बनाना चाहते थे बड़ा वकील
छोटे लाल ने सराफा की दुकान पर कारीगरी करके अपने परिवार को पाला। गांव में जमीन को लेकर उनका परिवार से विवाद पुराना है। इसलिए वह बेटे को बड़ा वकील बनाना चाहते थे। दो साल पहले बड़ी बेटी रूबी की शादी की थी। उससे छोटी रूमी और बेटे महेश्वर की शादी वह एक साथ करना चाहते थे। मगर उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। बेटे महेश्वर से छोटे लाल को बहुत उम्मीद थी। वह चाहते थे कि बेटा बड़ा वकील बनकर उनका सहयोग करे।
सरकारी नौकरी करना चाहता था अभिषेक
सुल्तानपुर के थाना अखंड नगर कनकपुर का अभिषेक अग्रहरि (20) सरकारी नौकरी करना चाहता था। उसके पिता जगदीश प्रसाद खेती करते हैं। जगदीश ने खेती करके चार बेटों को पाला पोसा। तीन बेटे आलोक, राहुल और अमन गांव में ही रह गए लेकिन अभिषेक तैयारी करने प्रयागराज आया। इंटर करने के बाद वह ग्रेजुएशन के साथ एसएससी की तैयारी करने लगा। वह यहां दारागंज में रहता था। जगदीश को बेटे से काफी उम्मीद थी। मगर बीच में ही बेटा साथ छोड़कर चला गया।
एसएससी की तैयारी कर रहा था उत्कर्ष
सुल्तानपुर के अखंड नगर थाना के पारा वासूपुर गांव का रहने वाले उत्कर्ष यहां बीएसएसी कर रहा था। दो साल पहले वह यहां आया था। दारागंज में वह किराए पर रहता था। वह एसएससी की तैयारी भी कर रहा था। दो भाई में बड़ा उत्कर्ष अपने पिता विजय कुमार के बुढ़ापे की लाठी बनना चाहता था। पिता खेती करके उत्कर्ष को पढ़ा रहे थे। उत्कर्ष ने पिता को भरोसा दिया था कि जल्द ही उसका सेलेक्शन हो जाएगा। मगर मौत उसे अपने साथ ले गई।
मौत ने भी नहीं किया अलग
अभिषेक अग्रहरि और उत्कर्ष सुल्तानपुर में पड़ोसी गांव के रहने वाले थे। दोनों यहां दारागंज में अलग-अलग कमरे में किराए पर रहते थे। मगर जब दोनों के बीच गांव लेकर पहचान हुई तो फिर दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। दोनों अक्सर साथ ही दिखते थे। दोनों जब भी मौका मिलता था संगम में नहाने जाते थे। हमेशा की तरह रविवार शाम भी दोनों साथ नहाने गए थे। लेकिन उन्हें क्या मालू्रम था कि वे दोनों आज लौट नहीं पाएंगे। दोनों साथ ही नहा रहे थे और आंधी के झोंके में दोनों साथ ही गहरे पानी में समा गए।
तीन महीने पहले आया था सुमित
मध्यप्रदेश सतना के नई बस्ती का रहने वाला सुमित तीन महीने पहले ही प्रयाग आया था। वह एनडीए की कोचिंग कर रहा था। उसके पिता शिवमंगल विश्वकर्मा पूना में प्राइवेट नौकरी करते हैं। वे बेटे को कोचिंग में एडमीशन दिलाकर पूना गए थे। सुमित एकलौता बेटा था। उसके दो छोटी बहन साक्षी और दीपाली हैं। पिता पूना में हैं। ऐसे में घर से सूचना पाकर बड़े पिता अरुण विश्वकर्मा दो लोगों के साथ यहां पहुंचे। वह इतने घबराए हुए थे कि किसी से कुछ बोल बता ही नहीं पा रहे थे। सूचना पर पिता शिवमंगल पूना से रवाना हो गए हैं।