प्रयागराज (ब्‍यूरो)। ध्वस्त सफाई और फागिंग व्यवस्था के चलते शहर में तीन तरह के फीवर लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। इस झेलाऊ फीवर से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इलाज के लिए प्राइवेट ही नहीं, सरकारी अस्पतालों में भी कतार लग रही है। काल्विन हॉस्पिटल की ओपीडी में ही रोज औसतन 150 तक मरीज पहुंच रहे हैं। पब्लिक की बीमारी के चलते खतरा डॉक्टर्स पर भी मंडरा रहा है इसके बाद भी वे शिद्दत से इलाज में लगे हुए हैं। बुधवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट काल्वि हॉस्पिटल पहुंचा और डॉक्टर्स से बात की तो उन्होंने इलाज का एक नया तरीका बताया। सुझाव दिया कि घर हो या वर्क प्लेस रौशनी चटख रखें तो एडीज के पनपने का खतरा कम हो जाएगा।


03 फिजिशियन की पोस्टिंग है काल्विन हॉस्पिटल में
03 प्रकार के फीवर आईडेंटीफाई किये हैं डॉक्टर्स ने
10 दिन तक लग जा रहे खतरनाक फीवर से रिकवर होने में
150 मरीज औसतन होते हैं बुखार से पीडि़त

फीवर के लक्षण और कारण
इस समय ऐडीज, एडीज इजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर बीमारियों की जड़ हैं।
एडिज मच्छर के काटने से डेंगू का शिकार हो जाने की संभावना होती है।
एडीज इजिप्ती व एडीस एल्बोपिक्टस के डंक से चिकनगुनिया और इस्क्रप्टाइफस फीवर होता है।
यह मच्छर डिम रोशनी में ज्यादा अटैक करते हैं।
इनकी सक्रियता दिन के उजाले में ज्यादा होती है। इसलिए ऑफिस हो या फिर घर, केविन और कमरे में हैं तो ध्यान दें कि उसमें रोशनी पर्याप्त हो।
तीनों प्रकार के फीवर को ठीक होने में सात से दस दिन का वक्त लग जाता है।

इस तरह करें झेलाऊ फीवर से बचाव
ऑफिस या फिर घर में बैठें तो पर्याप्त रोशनी होने के बाद भी मास्कीटो क्वाइल का यूज जरूर करें
क्वाइल लगाने पर सांस लेने में दिक्कत है तो खिड़कियों में जाली व सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
आसपास सफाई रखें। पानी को लम्बे समय तक इकट्ठा न होने दें
घर के छत पर गमला या टायर अथवा खुले हुए डिब्बे रखे हों और उसमें पानी भरा हो तुरंत हटा दें
फीवर या हरारत और कमजोरी समझ आने पर किसी भी फल का जूस न पिएं
खट्टे फलों को छोड़कर बाकी सभी फल साबुत खा सकते हैं
गले में खरास है तो नमक पानी से गरारा करें
नाला व नाली में सूखे हुए चूने को भी डाल सकते हैं
खुद के साथ छोटे बच्चों को भी फुल आस्तीन की शर्ट और पैंट पहनाएं,
इम्युनिटी मजबूत रहे इसके लिए खानपान पर भी विशेष ध्यान दें

स्कूल को भी सतर्क रहने की जरूरत
काल्विन हॉस्पिटल के फिजीशियन कहते हैं कि इस मौसम में बढ़ते फीवर से स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे भी पीडि़त हैं। बच्चों को स्कूल भेजते समय सतर्क रहने की जरूरत है। स्कूल प्रशासन को भी ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को फुल आस्तीन की शर्ट में ही स्कूल भेजें। स्कूल प्रशासन चाहिए कि वे बच्चों की कक्षा में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था कराएं। खिड़कियों में मच्छरों से बचने के लिए जाली लगवाएं। गार्डेन में सफाई के साथ यदि कहीं पानी भरा हो तो उसे तुरंत साफ कराएं। आसपास नाली व नाला है तो उसमें ब्लीचिंग पाउडर या चूना का छिड़काव बराबर कराएं।

इस समय तीन तरह के फीवर से ग्रसित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। यह फीवर मच्छर जनित है। इससे बचाव के लिए बताए गए तरीकों पर लोगों को ध्यान देना चाहिए। यदि फीवर आ जाए तो बगैर डॉक्टर से सलाह लिए किसी भी दवा का प्रयोग खुद से नहीं करें।
डॉ। जुबैर अहमद, एमडी फिजीशियन काल्विन हॉस्पिटल

ओपीडी में सबसे ज्यादा मरीज इन दिनों फीवर के ही आ रहे हैं। इस फीवर को हल्के में लेने की जरूरत नहीं है। तीनो प्रकार के बुखार के लक्षण आलमोस्ट सेम हैं। इस समय से जांच और इलाज व घर से लेकर स्कूल दफ्तर तक सावधानी बेहद जरूरी है।
डॉ। केके मिश्रा फिजीसियन काल्विन हॉस्पिटल