प्रयागराज ब्यूरो ।युवाओं को अपनी सृजन क्षमता बढ़ाने के लिए पढऩे की आदत डालनी पड़ेगी। मीडिया के विद्यार्थियों के लिए तो किताबें बहुत जरूरी होती हैं। ऑनलाइन रहने की आदत सृजन क्षमता पर प्रभाव डाल रही है। इसलिए जरूरी है कि विद्यार्थियों को किताबों की दुनिया से जोडऩे के उपक्रम किये जायें। यह बाते वरिष्ठ ब्राडकास्टर और दूरदर्शन, प्रयागराज की पूर्व कार्यक्रम प्रमुख डा तेजेन्दर वाष्र्णेय ने कही। डा वाष्र्णेय एयू के सेन्टर ऑफ मीडिया स्टडीज के विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहीं थीं।
डा वाष्र्णेय ने कहा कि वर्तमान समय में इंटरनेट पर फेक न्यूज का बोलबाला है और लोग भ्रम व झूठ का शिकार आसानी से बन जा रहे हैं। ऐसे में परम्परागत मीडिया ने लोगो में अपना विश्वास बनाये रखा है। जाहिर है कि मीडिया के विद्यार्थियों को शोध प्रवृत्ति को बढ़ाना होगा और किसी खबर के सच तक पहुंचे बिना उसे प्रस्तुत कर देने से परहेज करना होगा। उन्होंने डाक्यूमेन्ट्री लेखन और टेलीविजन प्रोग्राम बनाने के सम्बन्ध में कई जरूरी टिप्स भी दिये।
अनुभवों को करें साझा
प्रारम्भ में सेन्टर के कोर्स कोआर्डिनेटर डा धनंजय चोपड़ा ने डा तेजेन्दर वाष्र्णेय का स्वागत किया और उनका परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि मीडिया की बनावट और मजावट में हमारी स्मृति परम्पराओं का बहुत योगदान होता है। ऐसे में मीडिया के विद्यार्थियों के साथ अनुभवों को साझा करना अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अवसर पर बीए मीडिया स्टडीज, बीवोक मीडिया प्रोडक्शन व एमवोक मीडिया स्टडीज के विद्यार्थी उपस्थित थे।