• प्रयागराज (ब्यूरो)। दरअसल, जनवरी से मार्च के बीच प्रयागराज में माघ मेले का आयोजन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ ड्यूटी मेले में लगाई गई थी। इसके चलते इनीशिएटिव प्रोग्राम की रफ्तार धीमी हो गई। ऐसे में बीपी के जो मरीज स्वास्थ्य विभाग में रजिस्टर्ड थे, उनकी जांच और इलाज में कमी आ गई। मेला खत्म होने के बाद जब इन मरीजो की मानीटरिंग शुरू हुई तो पता चला कि 22 फीसदी का ब्लड प्रेशर कंट्रोल के बाहर है। अब इनको दवा देकर बीपी नियंत्रित करने की कोशिश चल रही है।

    पचास फीसदी तो लौटे ही नही

    इंडिया हाइपरटेंशिव कंट्रोल इनीशिएटिव प्रोग्राम के तहत शहर से लेकर गांव तक कैंप लगाकर 3000 बीपी के मरीजों को चिंहित किया गया था। इनमें से 1500 तो ऐसे हैं जो पहली बार दवा लेकर गए और फिर लौटकर नही आए। फोन पर इनका हालचाल लिया गया तो बहुत का नंबर स्विच आफ मिला। कुछ ने बताया कि वह प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। कुछ मरीज ऐसे भी हैं जो आने की बाद करते हैं लेकिन अभी तक दवा लेने नही आए। इस तरह से 3000 मरीजों में से 660 ऐसे हैं जिनका ब्लड प्रेशर अनकंट्रोल्ड पाया गया है।

    बीपी को लेकर सीरियस है सरकार

    लोकल लेवल पर भले ही बीपी के मरीजों के इलाज में कुछ देरी हुई हो लेकिन केंद्र सरकार इस कार्यक्रम को लेकर बेहद सतर्क है। हाल ही में बीपी नापने की नई मशीनों को भेजा गया है, साथ ही डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को आधुनिक तरीके से ब्लड प्रेशर नापने की ट्रेनिंग दी जा रही है। जिससे मरीजों का मीजरमेंट एकदम करेक्ट पता किया जा सके। साथ ही दवाओं के रजिस्टेंस से भी मरीजों को बचाया जा रहा है। जिन दवाओं से बीपी का कंट्रोल करने में दिक्कत आ सकती है, उनके चलन को कम किया जा रहा है।

    क्योंकि खतरनाक है ब्लड प्रेशर

    देश में ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यही कारण है कि सरकार की ओर से इंडिया हाइपरटेंशिव कंट्रोल इनीशिएटिव प्रोग्राम पूरे देश में चलाया जा रहा है। इसमें मरीजों को चिंहित कर उनका आजीवन निशुल्क दवा दी जाएगी और उनका फॉलोअप किया जाएगा। क्योंकि बीपी के मरीजों के शुगर होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे मरीजों के हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना भी अधिक होती है। हर साल हजारों मरीज बीपी की वजह से मौत के शिकार हो जाते हैं।

    बीपी का कंट्रोल रेट बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। डॉक्टर्स, स्टाफ नर्स और आशाओं की ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जवा रहे हैं। जो मरीज नही आए हैं उनको कॉल करके बुलाया जा रहा है। सभी का फॉलोअप किया जा रहा है।

    डॉ। आरसी पांडेय, नोडल एनसीडीसेल, स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज