नाक के रास्ते दिमाग पर कर रहा है हमला, पल्मनरी का एक भी केस नहीं आया सामने
जिले में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। शुक्रवार को दो नए मामलों ने दस्तक दी। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि अब तक पाए गए सभी मरीजों में यह बीमारी नाक के रास्ते दिमाग पर हमला कर रही है। छाती में संक्रमण का एक भी केस अभी तक सामने नहीं आया है। डॉक्टर्स का कहना है कि जिस एरिया में संक्रमण होता है उसे सर्जरी के जरिए निकालना पड़ रहा है। दो मरीजों की मैग्जिला निकाली गई है। यह नाक के पीछे की हडडी होती है।
बच गई आंख और दिमाग
डॉक्टर्स का कहना है कि दो प्रकार का ब्लैक फंगस संक्रमण होता है। इनमें से एक को राइनो ग्विटो सेरेब्रल कहते हैं और दूसरे को पल्मनरी। लेकिन अभी तक सामने आए सभी 11 मामलों में सभी केसेज पहली प्रकार के ही मिले हैं। फंगस ने नाक के जरिए बॉडी में प्रवेश कर आंख और फिर दिमाग पर अटैक किया है। इसकी वजह से मरीजों की नाक की हड्डी, आंख और दिमाग के डैमेज होने का खतरा बढ़ रहा है। हालांकि प्रयागराज में अभी तक पांच मरीजों की सर्जरी की गई है और सभी की आंखें और दिमाग के हिस्से सुरक्षित हैं।
नाक को ढंककर रखें
जिन मरीजों का कोरोना के दौरान अस्पताल में इलाज हुआ है उन्हें नाक को ढंककर रखना होगा। क्योंकि संक्रमण का खतरा इसी रास्ते से है। पोस्ट कोविड मरीजों को निर्माणाधीन एरिया में जाने से मनाही की गई है। यहां सबसे ज्यादा ब्लैक फंगस संक्रमण के चांसेज होते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि लोगों को साफ और सूखा मास्क पहनना होगा। क्योंकि गंदे मास्क में संक्रमण का अधिक खतरा रहता है।
आज होगी छठवीं सर्जरी
एसआरएन अस्पताल में भर्ती 11 मरीजों में छठवें की सर्जरी आज होगी। मरीज की सभी जांच कर ली गई है। अब तक यहां पांच सर्जरी हो चुकी है। डॉक्टर्स का कहना है कि ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में देरी से उनको नुकसान हो सकता है। इसलिए जल्द से जल्द सर्जरी को अंजाम देना होता है। सर्जरी के बाद मरीज की मानीटरिंग जरूरी है क्योंकि फंगस इंफेक्शन के दोबारा फैलने के चांसेज होते हैं।
अभी तक दो मरीजों की मैग्जिला निकाली गई, यह हिस्सा नाक के पीछे होता है। तीन मरीजों की सर्जरी दूरबीन विधि से की गई है। ब्लैक फंगस नाक के जरिए दिमाग में पहुंचने की कोशिश कर रहा है इसलिए जितनी जल्दी हो सके मरीज को डॉक्टर से जांच करा लेनी चाहिए।
डॉ। सचिन जैन
ईएनटी विभाग, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज