प्रयागराज (ब्यूरो)। कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज करा पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है। इसका इलाज तो है मगर इसके परीक्षण करने की प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है। इस प्रक्रिया को सहज, फास्ट और सटीक बनाने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के जेके इंस्टीट्यूट के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार ने आटीफिशिलय इंटेलिजंस तकनीकि का इस्तेमाल करके एक ऐसा साफ्टवेयर डेवलप किया है जो एफएनआई विधि के माध्यम से कलेक्ट किये सैंपल का बायोप्सी इमेजेस के माध्यम से परीक्षण करेगा। किसी व्यक्ति मे कैंसर है या नहीं इसका पता ये साफ्टवेयर कुछ सेंकेड में ही लगा लेगा। इसकी सबसे खास बात यह है कि प्राइमरी स्टेज पर ही कैंसर का पता चल जाएगा। इससे इलाज जल्द शुरू हो सकेगा और मरीज की जान बचाई जा सकेगी।
क्या है एफएनआई विधि
एफएनआई फाइन निडिल इंस्पेरेशन बायोप्सी कहते है।
इस विधि के माध्यम से निडिल की सहायता से उस जगह से टीशू निकाला जाता है। जिस जगह पर व्यक्ति को कैंसर होने का अंदेशा हो।
इसके बाद इस कलेक्ट किये सैंपल की स्लाइड की ईमेज को साफ्टवेयर को इनपुट दिया जाता है।
इसके बाद साफ्टवेयर उस टीशू का परिक्षण बायोप्सी इमेजेस के द्वारा करेगा। बायोप्सी इमेजेस के द्वारा किये परिक्षण मे बिल्कुल सटीकता होगी।
इसके द्वारा किये गये परिक्षण की रिपोर्ट हर जगह एक ही होगी।
चीर फाड़ की झंझट से छुटकारा
पहले किसी व्यक्ति मे कैंसर की जाँच करना होता था तो उसके लिए सर्जिकल बायोप्सी विधि का प्रयोग किया जाता था।
जिसमे व्यक्ति के उस जगह से मांस के टुकड़े का सैंपल लिया जाता था। जहां पर उस व्यक्ति को कैंसर होने का अंदेशा होता था।
यह प्रक्रिया करने मे जटिल और दर्दनाक थी। इसमे मरीजों को काफी दर्द होता था।
मगर अब एफ एन आई विधि से चीर फाड़ की झंझट से छुटकारा मिल जाएगा।
इसमे केवल एक निडिल के माध्यम से व्यक्ति के उस जगह से टीशू निकाल लिया जाता है। जहां पर व्यक्ति को कैंसर होने का अंदेशा हो।
स्कैनिंग का इस्तेमाल होगा बंद
डाक्टर आज के दौर मे कैंसर का परिक्षण करने के लिए स्कैनिंग टेक्निक का इस्तेमाल कर रहे है। जिसमें एक्स-रे, पीईटी पोजिट्रॉन इमिटेड टोमोग्राफी एवं एमआरआई आते हैं। इनके माध्यम से कैंसर का परिक्षण करने के दौरान कई सारी हानिकारक रेज निकलती है। जिसमे मुख्य रूप से एक्स-रे और गामा रेज का प्रवाह होता है। सारी रेज रोगी के शरीर पर पड़ती है। कैंसर की सेल्स पहले ही बहुत एक्टिव होती है। इन रेज के पडऩे से कैंसर सेल्स दोगुनी रफ्तार से बढ़ती है। इस दौरान रोगी के शरीर मे काफी दर्द होता है। कई बार रोगी को मल्टी ऑर्गन फेलियर की संभावना बढ़ जाती है। मगर बायोप्सी इमेजेस के माध्यम से परिक्षण होने से इसकी संभावना ही खत्म हो जाएगी।
अगले वर्ष आएगा मोबाइल एप
असिस्टेंट प्रोफेसर राजेश कुमार ने बताया की अगले वर्ष मोबाइल एप लांच करने की तैयारी में है। जिस एप के माध्यम से कोई भी व्यक्ति कैंसर का परिक्षण बायोप्सी इमेज डालकर कर घर बैठे सेकेंडो मे कर सकेगा।
यूएस जर्नल में हुआ पब्लिश
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के जेके इंस्टीट्यूट के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर राजेश कुमार ने बताया की। इनका कैंसर डिटेक्शन थ्रू बायोप्सी इमेजेस यूसिंग एआई री-सर्च पेपर कम्प्यूटर मेथैड्स एंड प्रोग्राम इन बायो मेडिसिन मे प्रकाशित हो चुका है। इसी के साथ इनका यह री-सर्च पेपर स्प्रिंजर नेचर जर्नल मे भी प्रकाशित हो चुका है।