प्रयागराज ब्यूरो । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर-मध्य रेलवे प्रयागराज के कर्मचारी मलिक हाफिज उद्दीन की 13 जनवरी 1981मे मैटीरियल क्लर्क पद पर प्रोन्नति मामले में बडी राहत दी है। लेबर कोर्ट ने रेलवे कर्मी की 1981 से प्रोन्नति मानते हुए वेतन भुगतान करने का अवार्ड दिया था। जिसे केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण प्रयागराज ने भी सही माना किंतु भारत सरकार व रेलवे ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने श्रम अदालत के निष्कर्ष को सही करार देते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और भारत संघ की याचिका खारिज कर दी है।
केस में उलझा दिया
यह आदेश जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र और जस्टिस जयंत बनर्जी की बेंच ने भारत संघ व अन्य की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है। कर्मचारी के बेटे अधिवक्ता इरफान अहमद मलिक ने भारत सरकार की याचिका का विरोध किया। बता दें कि मलिक हाफिज उद्दीन 1967 में रेलवे में खलासी नियुक्त हुए। डिविजनल सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर प्रयागराज ने 13 जनवरी 1981 को उसे मैटीरियल क्लर्क पद पर पदोन्नति दी किंतु वेतन नहीं दिया गया। रेलवे की तरफ से कहा गया कि यह प्रोन्नति नियमानुसार नहीं थी। बिना टेस्ट के पदोन्नति दी गई थी। वास्तव में उसे 23 अगस्त 91 को टेस्ट लेकर प्रोन्नति दी गई है। किंतु श्रम अदालत द्वारा 1981 में प्रोन्नति मानते हुए वेतन देने के आदेश को रेलवे ने चुनौती नहीं दी थी। कई दौर की मुकद्दमेबाजी के बाद भी रेलवे ने कर्मी की मांग नहीं मानी और कैट में चुनौती दी तो वहां भी उसे निराशा ही मिली। कैट ने कहा श्रम अदालत के निष्कर्ष के विपरीत नहीं जाया जा सकता। श्रम अदालत ने 1981 में प्रोन्नति मानी है और उसे चुनौती नहीं दी गई है। ऐसे में कैट व श्रम अदालत के फैसले पर हस्तक्षेप का कोई वैध आधार नहीं है और याचिका खारिज कर दी।