प्रयागराज (ब्‍यूरो)। साइकिल इकनामिकल और इनवायरमेंट दोनों तरीकों से लाभप्रद है। एक लीटर पेट्रोल की कीमत इस समय 96 रुपए है और साइकिल का मेंटनेंस इससे कही कम है। अगर पंचर भी हो जाए तो 30 रुपए लगते हैं। आयल-ग्रीसिंग भी मिला लिया जाए तो सौ रुपए खर्च नही बैठता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे जीवेश सिंह कहते हैं कि मैं रोजाना बीस से तीस किमी साइकिल चलाता हूं और मुझे इस पर एक रुपए खर्च नही करना पड़ता है। जबकि बाइक से चलता हूुं तो दो दिन में कम से कम एक लीटर पेट्रोल डलवाना पड़ता है।

हर महीने खर्च होते हैं तीन हजार रुपए
अगर देखा जाए तो एक दिन में एक लीटर पेट्रोल बाइक में आसानी से खर्च होता है। पेशे से एमआर रोहित शुक्ला बताते हैं कि सौ रुपए का पेट्रोल खर्च तो डेली का आता है। यानी महीने में तीन हजार रुपए लग जाते हैं। पांच सौ रुपए तक एक्स्ट्रा खर्च हो जाता है। ऐसे में सैलरी का एक बड़ा हिस्सा इसमें चला जाता है। वह कहते हैं कि पिछले तीन माह से मैंने नया तरीका निकाला है। मैं महीने में 15 दिन साइकिल से विजिट करता हूं। इससे मेरा खर्च जस्ट हाफ हो गया है। इस पैसे की मैं सेविंग कर रहा हूं।

तेजी से बढ़ रहे हैं लंग्स के मरीज
श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ। आशुतोष गुप्ता कहते हैं कि शहर में तेजी से दो और चार पहिया वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इनसे निकलने वाले धुएं में कई घातक केमिकल होते हैं। यही कारण है कि सांस के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कही न कही इन मरीजों की बीमारी का बड़ा कारण एयर पाल्यूशन बन रहा है। डॉ। गुप्ता खुद एक साइकलिस्ट हैं और वह कहते हैं कि अगर सप्ताह में दो से तीन दिन साइकिल से सफर किया जाए तो पाल्यूशन लेवल को कई गुना तक कम किया जाता है।

दस साल में दो गुना हो गई बिक्री
साइकिल विक्रेता आशीष कपूर कहते हैं कि समय के साथ साइकिल की बिक्री कम नही हुई बल्कि पिछले दस साल में यह दोगुना हो गई है। अंतर यह है कि लोग फिटनेस परपज से साइकिल खरीद रहे हैं। अगर इसका यूज वह प्रोफेशनली करने लगें तो सिनेरियो एकदम चेंज हो जाएगा। उनकी सेहत बनेगी साथ ही पर्यावरण को भी लाभ होगा। लेकिन इस बदलाव के लिए लोगों को खुद साइकिलिंग के लिए जागरुक होना होगा।