प्रयागराज ब्यूरो । खतरा सिर पर मंडरा रहा है। लेकिन लोगों को नजर नहीं आ रहा है। बात यहां डेंगू की हो रही है। पिछले साल इसी सीजन में डेंगू के मरीजों की शुरुआत हुई थी और बाद में पकड़ से बाहर हो गया था। इस साल भी ऐसी स्थिति बन सकती है, बशर्ते लोग जागरुक हो जाएं तो इसे टालने में सफलता मिल जाएगी। फिलहाल जनता जनार्दन की लापरवाही खत्म नही हो रही है। ताजा आंकड़ा मलेरिया विभाग का है। जिसके मुताबिक अब तक जितने भी घरों में लार्वा मिले हैं उनमें 70 फीसदी कूलर में मिले हैं। बावजूद इसके लोग समझ नही रहे हैं। विभाग का कहना है कि अभी भी लोग नही जागे तो डेंगू के प्रसार को रोकना मुश्किल होगा।
एक जुलाई से चलाया जा रहा अभियान
पिछले साल की तरह डेंगू को फैलने से रोकने के लिए मलेरिया विभाग की ओर से एक जुलाई से अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत घर घर जाकर दर्जनों टीमें लोगों के घर में लार्वा की तलाश कर रही हैं। अब तक 500 घरों में डेंगू के लार्वा स्पॉट किए गए हैं। जिनमें से 350 घरों में कूलर में लार्वा मिले हैं। पूछताछ में पता चला कि लोगों ने लंबे समय से कूलर का पानी बदला नही था। ऐसे में उसमें लार्वा पनपते चले गए। यह लार्वा एडीज मच्छर के हैं जो डेंगू के फैलाने का अहम कारण है। इसके काटने से डेंगू के वायरस एक से दूसरे शरीर मे ंप्रवेश कर जाते हैं।
हर संडे पानी बदलना जरूरी
केंद्र सरकार की ओर से भी पिछले कुछ सालों से अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें कहा गया है कि हर संडे लोगों को कूलर का पानी जरूर बदलना चाहिए। लास्ट ईयर जब डेंगू के मरीजों की संख्या 1400 से अधिक हो गई थी तब स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चलाकर घर घर कूलर का पानी चेंज कराया था। जिनके घर में डेंगू के लार्वा मिल रहे थे वहां पर उनको नोटिस भी सर्व किया जा रहा है। अगर लोग नही माने तो इस साल भी यही स्थिति बन सकती है।
21 हो गई डेंगू मरीजों की संख्या
इस साल अब तक डेंगू के मरीजों की जिले में संख्या बढ़कर 21 हो गई है। रविवार को दो नए मरीज सामने आए हैं। इनके ब्लड की जांच में डेंगू की पुष्टि की गई है। इनमें झूंसी की 54 साल की महिला और बैरहना से 27 साल का पुरूष शामिल है। वर्तमान में एक मरीज का एसआरएन अस्पताल व दो का घर पर इलाज चल रहा है। अस्पतालों में एक हजार से अधिक लोगों की डेंगू की जांच की जा चुकी है। बता दें कि जिले में इस साल डेंगू का पहला मरीज 23 जुलाई को पाया गया था।
इन इलाकों में अधिक खतरा
जिन इलाकों में सबसे अधिक डेंगू लार्वा के मामले समाने आये हैं, उसमें सीडीए पेंशन कालोनी, राजापुर, शिवपुरी, सिंचाई कालोनी गोविंदपुर, अल्लापुर, कीडगंज, कालिंदीपुरम, झूंसी व नैनी शामिल हैं। हालांकि इनमें से अधिक इलाकों में पिछले साल भी डेंगू के अधिक मरीज सामने आए थे, लेकिन लोगों ने सबक नही लिया। एक्सपट्र्स का कहना है कि डेंगू के फैलने का सबसे अधिक खतरा सितंबर और अक्टूबर में होता है। इसलिए आम जनता को सतर्क हो जाना चाहिए।
कितना घातक है डेंगू
- हर बीस में से एक व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ता है।
- अगर आपको पहले डेंगू हो चुका है तो फिर से होने की पूरी संभावना है।
- गंभीर डेंगू मरीज के शरीर के अंदर ब्लीडिंग की वजह से मौत भी हो सकती है।
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों के डेंगू से गंभीर रूप से बीमार होने के चांसेज अधिक होते हैं।

लक्षण

-सिरदर्द
- आंख में दर्द
- तेज बुखार
- मांसपेशियों में दर्द
- जोड़ों में दर्द
- हंड््िडयों में तेज दर्द
- त्वचा पर चकत्ते
- उल्टी और चक्कर आना
- ब्लीडिंग
बचाव
- पूरे बाजू कपड़े और पैरों में मोजे पहने।
- सोते समय मच्छरदानी का यूज करें।
- घर के खिड़की और दरवाजों को बंद रखें।
- घर में कूलर या कही पानी जमा है तो हटा दिया जाए।
- पानी साफ नही कर पा रहे हैं तो वहां पर एक ढक्कर मिट्टी का तेल या पेट्रोल डाल दें।

हमारी ओर से लगातार अभियान चलाया जा रहा है लेकिन यह चिंता की बात है घरों में लार्वा मिल रहे हैं। लोग जागरुक नही हो रहे हें। 70 फीसदी लार्वा कूलरों में मिले हैंॅ। लोग इस सीजन में कूलर का पानी चेंज नही कर रहे हैं और इनमें तेजी से लार्वा पनप रहे हैं।
आनंद सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी प्रयागराज