भीख मांगे जो अदाकारी से, बच के रहना तुम उस भिखारी से
कवि सम्मेलन के दौरान रचनाकारों ने शानदार कविताओं की प्रस्तुति दी। कवि संतोष शुक्ला समर्थ कहा कि बरगद की पीपल की छांव छू के चला था, मैं घर से अपनी मां के पांव छू के चला था। अशोक बेशरम ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि भीख मांगे जो अदाकारी से, बच के रहना तुम उस भिखारी से। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए फेमस कवि यश मालवीय ने इस मौके पर नवगीतों की प्रस्तुति दी। वंदना शुक्ला ने श्रृंगार गीतों की प्रस्तुति देकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। डॉ। श्लेष गौतम ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि रहूं चाहे जहां मैं अपने दिल में ङ्क्षहदुस्तान रखता हूं। कार्यक्रम का संयोजन रामलीला महासंघ के अध्यक्ष फूलचन्द्र दुबे ने किया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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