प्रयागराज (ब्‍यूराे)अगर आपका वोट चोरी हो गया है या फिर किसी ने पहले ही डाल दिया है, तो चिंता करने की जरूरत नही है। आमतौर पर ऐसी सिचुएशन में लोग नाराज होकर घर लौट जाते हैं। उनको नहीं पता होता कि वह टेंडर वोट भी डाल सकते हैं। यह वोट जरूरत पडऩे पर हार जीत का फैसला भी कर सकता है। बुधवार को पोंिलंग पार्टियों को रवानगी से पहले इस वोट के बारे में जानकारी दी गई। कहा गया कि जरूरत पडऩे पर इस धारा का पालन करते हुए मतदाता से टेंडर वोट डलवाया जाए।

धारा 49(पी) के तहत चोरी होता है वोट
अगर हमारा वोट कोई और डाल दे, तो इसे धारा 49(पी) के तहत वोट का चोरी होना कहा जाता है। चुनाव आयोग ने साल 1961 में इस धारा को संशोधित कर शामिल किया था। इसके तहत वोट करने के असल हकदार को दोबारा वोट करने का अधिकार दिया जा सकता है। यही वोट टेंडर वोट कहलाता है। आमतौर पर लोगों को इसके बारे में जानकारी नही होती है। जिसका फायदा उठाकर साजिशन लोग पहले ही दूसरे का वोट डाल आते हैं।

ऐसे इस्तेमाल होगा टेंडर वोट
जो मतदाता इस धारा का इस्तेमाल करना चाहता है वह वह क्लेम करते हुए अपनी वोटर आईडी और पहचान दस्तावेज पीठासीन अधिकारी को दिखा सकता है।
इसके साथ ही फार्म 17 (बी) पर भी हस्ताक्षर कर जमा करना होता है। इस तरीके में मतदाता ईवीएम के थ्रू नही बल्कि बैलेट पेपर के जरिए अपना वोट डाल सकता है।
लोगों को वोट को चुनौती देने के बारे में पता ही नहीं होता। इस बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

फर्जी वोट को कर सकते हैं चैलेंज
इसी तरह पोलिंग बूथ पर किसी वोट को चैलेंज भी किया जा सकता है। इसमें पोलिंग बूथ पर मौजूद राजनीतिक पार्टियों के एजेंट किसी वोटर के वोट को चैलेंज कर सकते हैं। अगर एजेंट को लगता है कि संबंधित वोटर फर्जी है और वो किसी दूसरे व्यक्ति की वोट डालने आया है, तो वो पीठासीन अधिकारी से बोल कर वोट को चैलेंज कर सकता है, इसे चैलेंज्ड वोट कहा जाता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए पीठासीन अधिकारी को दो रुपए फीस देकर फार्म 14 भरना होता है। पीठासीन अधिकारी उस मतदाता के दस्तावेजों की जांच करते हैं। वोटर सही होता है, तो उसे वोट डालने की मंजूरी दे दी जाती है और अगर वो फर्जी होता है, तो उसे तुरंत पुलिस को सौंप दिया जाता है।

पिछले चुनावों में किया कम्प्लेन
पिछले चुनाव में ऐसे कई मामले सामने आए थे जिसमें लोगों को पता चला कि उनका वोट पहले ही पड़ चुका है। इस फर्जीवाड़े का उन्होंने विरोध किया लेकिन टेंडर वोट की जानकारी नही होने पर अपने वोट का इस्तेमाल नही कर सके। बुधवार को पोलिंग पार्टियों को टेंडर वोट प्रक्रिया पूरी कराने के लिए बैलेट पेपर उपलब्ध कराए गए थे।