- मोबाइल एप पर पीछे से गाड़ी नंबर सर्च करके जान लेते हैं नाम व सारी डिटेल

- नाम लेकर बुलाने पर झांसे में आकर रुकते ही यात्रियों को लूट रहे बदमाश

PRAYAGRAJ: गाड़ी से सफर करते समय आपका या गाड़ी मालिक का नाम लेकर कोई रास्ते में आवाज दे तो रुकने से पहले सतर्क रहें। क्योंकि नाम से आवाज देने वाला शख्स जरूरी नहीं कि आप या आप की गाड़ी के मालिक का परिचित ही हो। वह लुटेरा और बदमाश भी हो सकता है। इस तरह की घटनाएं रेंज यानी प्रयागराज, कौशाम्बी व प्रतापगढ़ और फतेहपुर के बाहर तेजी से हो रही हैं। चलते-चलते लुटेरे रास्ते में नाम से आवाज देते हैं। चालक यह सोचते हैं कि कोई रिश्तेदार या मित्र है जो जानता है और नाम से आवाज दे रहा है। रुकते ही आवाज देने वाले शातिर बदमाश लूट व छिनैती की वारदात को अंजाम देकर भाग जाते हैं। हालात को देखते हुए जिले शीर्ष अफसरों ने जिले के लोगों को ऐसी झांसे से बचने के लिए सतर्क किया है।

इस तरह नंबर करते हैं सर्च

वक्त के साथ बदमाश भी खुद को हाईटेक करते जा रहे हैं। सोशल मीडिया और मोबाइल को लुटेरे अब हथियार बना चुके हैं। मोबाइल पर बदमाशों द्वारा गाड़ी नंबर चेक करने वाले एप को डाउन लोड कर लेते हैं। इसके बाद वह सामने चल रही गाड़ी के नंबर को नोट करके इस एप के जरिए उसे सर्च करते हैं। एप पर नंबर सर्च करते ही गाड़ी मालिक से लेकर तमाम सारी डिटेल मोबाइल के स्क्रीन पर आती है। इससे बदमाशों को गाड़ी के मालिक का नाम मालूम चल जाता है। इसके बाद गाड़ी जिसके नाम रजिस्टर्ड होती है बदमाश उसी का नाम लेकर सामने चल रही गाड़ी को रुकने के लिए आवाज देते हैं। चालक यदि गाड़ी मालिक है तब तो लुटेरों के लिए सोने में सुहागा होता है। क्योंकि आवाज देते ही चालक यह सोच कर गाड़ी रोक देता है कि कोई परिचित है तभी नाम लेकर बुला रहा है। यदि चालक गाड़ी मालिक नहीं है तो वह यह सोच कर रुक जाता है कि कोई गाड़ी मालिक का परिचित होगा। बस चालक की यही सोच का फायदा उठाकर लुटेरे वारदात को अंजाम देने के मकसद में कामयाब हो जाते हैं। गाड़ी रोकते ही आवाज देने वाले शातिर साथियों के साथ लूट कर भाग जाते हैं। इस तरह की वारदात को ज्यादातर बदमाश बाइक चालकों के साथ अंजाम देते हैं। क्योंकि बाइक चालक उनकी बात को आसानी से सुन लेते हैं। कार जैसी बंद उसी गाड़ी के चालक को यह शिकार बना पाते हैं जिनके शीशे खुले होते हैं। क्योंकि बंद शीशे पर चलती गाड़ी में पीछे से दी जाने वाली आवाज चालक सुन नहीं पाते।

हाईवे हो या इंटीरियर हर जगह खतरा

बदमाश वारदात को अंजाम देने का यह हाईटेक फार्मूला ज्यादातर हाईवे पर आजमाते हैं। प्लान के तहत यह हाईवे के ढाबों और चौराहों रुकने वालों की रेकी करते हैं। रेकी यानी कायदे से वाच करने के बाद यह समझते हैं कि लूटने पर कुछ मिलेगा या नहीं। पूरी तरह नाम तौल कर लेने के बाद शातिर उसी दुकान और ढाबे से पीछे लग जाते हैं। नाश्ता पानी करके चौराहे से आगे निर्जन स्थान पर यात्री के पहुंचते ही वह नाम लेकर आवाज देना शुरू कर देते हैं। यही प्रक्रिया लुटेरे इंटीरियर हाईवे से हड़क भी अपनाते हैं। इतना ही नहीं चलती गाड़ी के नंबर को भी यह पीछे से सर्च कर लेते हैं।

इस गैंग की चाल को ऐसे दें मात

सफर कर रहे हैं और कोई नाम लेकर आवाज दे तो रुकने के पहले यह तय कर लें कि बुलाने वाला शख्स परिचित ही है

परिचित नहीं और थोड़ा भी शक है तो गाड़ी को रोकने के बजाय स्पीड बढ़ा कर ऐसी दुकान या ढाबे पर रुकें जहां लोग हों

यदि नाम से आवाज देने के बाद आप गाड़ी न रोकें और कोई पीछा कर रहा हो तो किसी तरह सूचना 112 पुलिस को दें

डॉयल 112 पर यह बताएं कि आप ड्राइव कर रहे हैं और किस तरफ बढ़ रहे हैं चौराहों पर लगे बोर्ड व किलो मीटर के पत्थर को वाच करते रहें

पुलिस को यह भी बताएं कि आप जहां हैं वहां लगे पत्थर पर अमुक स्थान की दूरी इतनी लिखी हुई है

इससे आप तक पहुंचने में पुलिस को आसानी होगी, संभव हो तो पीछा करने वाली गाड़ी का नंबर भी पुलिस को बताएं

यदि यह संभव नहीं तो आप जिस गाड़ी से सफर में हैं उसका नंबर जरूर 112 पर बता दें ताकि पुलिस समझ सकें

सफर करते समय सभी पूरी तरह सतर्क रहें। किसी के नाम लेकर आवाज देने पर तब तक न रुकें जब तक कि यह सुनिश्चित न करें कि बुलाने वाला परिचित या रिश्तेदार ही है। हाईवे हो या इंटीरियल की सड़कें। सतर्कता हर जगह जरूरी है।

कवीन्द्र प्रताप सिंह, आईजी रेंज प्रयागराज