प्रयागराज ब्यूरो । अंडर ग्राउंड वाटर के अंधाधुंध दोहन से पाताल का पानी तेजी से कम हो रहा है। हर साल कई सेमी भूजल स्तर नीचे चले जाने से स्थिति भयावह होती जा रही है। लेकिन, लोगों पर इसका जरा भी असर नही हो रहा है। कामर्शियल और डोमेस्टिक, दोनों परपज से भूजल का जबरदस्त उपयोग किया जा रहा है। अगर नही चेते तो आने वाले कुछ सालों में बूंद बूंद पानी को तरसना पड़ सकता है। ये हम नही बल्कि भूगर्भ जल विभाग की रिपोर्ट कह रही है। आप भी लीजिए अपने जिले की भूगर्भ जल स्तर की जानकारी।

आधा दर्जन एरिया में सूख गए हैंडपंप

अंडर ग्राउंड वोटर लेवल के उपयोग में सबसे आगे हमारा शहर निकल गया है। इसे ओवर एक्सप्लाइटेड यानी अति दोहन वाली श्रेणी में रखा गया है। शहर में पाताल के पानी का इतना अधिक यूज हो रहा है कि आधा दर्जन एरिया के हैंडपंप और सबमर्सिबल सूखते जा रहे हैं। खुद प्रशासन इन एरिया को लेकर चिंतित है। रिपोर्ट के मुताबिक शहर का औसत भूगर्भ जलस्तर साल बीस सेमी कम हो रहा है। जानिए ये कौन से एरिया हैं और कितना है वहां का वाटर लेवल।

एरिया वाटर लेवल

पीपल गांव 20.80 मीटर

बेली अस्पताल 18 मीटर

रानीपुर आईईआरटी 23.30 मीटर

सदर तहसील 23.70 मीटर

प्रधान डाकघर 17.60 मीटर

पुलिस लाइन 15.80 मीटर

प्राथमिक स्कूल रंगपुरा 14.50 मीटर

हर साल गिर रहा है जलस्तर

जिले की बात करें तो कुल 11 ब्लॉक ऐसे हैं जहां पर भूगर्भ जल का स्तर हर साल तेजी से कम हो रहा है। इस कारण से इन्हे सेमी क्रिटिकल और क्रिटिकल श्रेणी में रखा गया है। इनमें से बहादुरपुर, बहरिया, धनुपुर, होलागढ़, मऊआइमा, फूलपुर, प्रतापपुर, सैदाबाद, श्रंगवेरपुरम धाम को सेमी क्रिटिकल ग्रुप में हैं। यहां पर लोगों को लगातार जागरुक करने का काम किया जा रहा है। वहीं चाका और सहसों ब्लॉक क्रिटिकल श्रेणी में आ चुके हंै। यहां के लोग नही माने तो आने वाला समय काफी मुश्किल हो सकता है।

क्यों बन रही है ये स्थिति

आखिर अंडर ग्राउंड वाटर लेवल क्यों कम हो रहा है? यह बड़ा सवाल है। इसके पीछे कई कारण हैं। शहरी और ग्रामीण एरिया में रुफ टाप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार करने में लोग रुचि नही ले रहे हैं। बारिश का जल संचय नही किए जाने से पाताल का पानी लगातार कम हो रहा है। जबकि नियमानुसार तीन सौ वर्गगज की छत का क्षेत्रफल होने पर पीडीए तब तक नक्शा पास नही करेगा, जब तक उस भवन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के इंतजाम नही होंगे। बावजूद इसके लोग इस ओर ध्यान नही दे रहे हैं। इसके अलावा लोग सबमर्सिबल पंप और ट््यूबवेल लगवाने से पहले भूगर्भ जल विभाग की एनओसी लेना भी जरूरी नही समझ रहे हैं।

अभी खतरे से बाहर हैं ये इलाके

- हंडिया

- जसरा

- करछना

- कौंधियारा

- कौडि़हार

- कोरांव

- मांडा

- मेजा

- फूलपुर

- शंकरगढ़

- सोरांव

- भगवतपुर

एक्ट के तहत कामर्शियल और डोमेस्टिक दोनों प्रकार के लोगों से पानी के यूज का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। जो लोग ऐसा नही करेंगे उनको नोटिस व जुर्माने की कार्रवाई की जानी है। जिन एरिया में वाटर लेवल गिर रहा है वहां पर लोगों को जागरुक होना जरूरी है।

रविशंकर पटेल, हाइड्रोलाजिस्ट, भूगर्भ जल विभाग प्रयागराज

शासन की ओर से रुफ टाप हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की पहल की जा रही है। इसके लिए बजट भी दिया गया है। हमें जो टारगेट मिला है उसके तहत सरकारी व अर्ध सरकारी भवनों में यह सिस्टम लगवाया जाएगा।

कुमार गौरव, सहायक अभियंता, लघु सिचाई विभाग प्रयागराज