प्रयागराज (ब्‍यूरो)। बता दें कि एंबुलेंस कर्मियों को 60 और 70 साल के महिला व पुरुष रेलवे जंक्शन प्रयागराज के प्लेटफार्म संख्या 10 के बाहरी क्षेत्र में डायल 112 पुलिस ड्यूटी से मिले थे। एंबुलेंस चालक इन दोनों को लेकर सीधे काल्विन अस्पताल चले गए। लेकिन यहां पहुचने के बाद उन्हें झटका लगा। इमरजेंसी में तेनात डाक्टर्स ने कहा कि यह केस बेली अस्पताल के पास मिले थे इसलिए वहां लेकर जाते। इसलिए इन्हे भर्ती नही किया जाएगा। डेढ़ घंटे तक माथापच्ची करने के बाद भी बात नही बनी तो एंबुलेंस चालक ने इसकी जानकारी सीएमओ डॉ। नानक सरन को दी। उन्हे हस्तक्षेप के बाद दोनों को दोनेां को काल्विन अस्प्ताल में भर्ती कराया जा सका।

अक्सर देखने में आते हैं मामले

यह कोई नई बात नही है। अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं। सरकारी अस्पतालों में गंभीर मरीजों को लेने से पहले कई तरह के बहाने बनाए जाते हैं। जरा सा भी क्रिटिकल केस होने पर उसे एसआरएन अस्पताल रिफर कर दिया जाता है। तो कभी एरिया के नजदीक अस्पताल ले जाने का नियम बताया जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि डॉक्टर्स मरीजों को लेकर कोई रिस्क नही लेना चाहते हैं। मरीजों की इस फेक-फाकी में कई बार मरीजों की जान पर बन आती है।

जहां मरीज मिले थे वहां से बेली अस्पताल नजदीक पड़ता है। अगर एंबुलेंस कर्मी उन्हें ले आए हैं तो डॉक्टर्स को उन्हें तत्काल भर्ती कर लेना चाहिए। अगर ऐसा है तो प्रकरण की जांच कराई जाएगी।

डा। इंदू कनौजिया, एसआईसी, काल्विन अस्पताल प्रयागराज