प्रयागराज ब्यूरो । महंगी जांचों में एक एमआरआई को लेकर मरीज काफी परेशान हो रहे हैं। एसआरएन अस्पताल में लगातार बढ़ते मरीज और एमआरआई जांच में चार से पांच माह की वेटिंग का असर अब बेली अस्पताल पर पडऩे लगा है। यहां रोजाना क्षमता से अधिक एमआरआई जांच की जा रही है, जिसका असर मशीन पर पडऩे लगा है। एक्सपट्र्स का कहना है कि शहर में एक और सरकारी एमआरआई जांच मशीन की आवश्यकता है।

आखिर जाएं तो जाएं कहां

मरीजों का भी कहना है कि आखिर हम जाएं तो जाएं कहां। एसआरएन अस्पताल में एक एमआरआई मशीन लगी है। इसमें एक दिन में अधिकतम दस से बारह जांच ही हो पाती हैं। जबकि ओपीडी में एमआरआई जांच वाले रोजाना नए मरीजों की संख्या पांच दर्जन से अधिक है। जो लोग बचते हैं उन्हें चार से पांच माह की वेटिंग दी जाती है। ऐसे में वह एसआरएन की जगह बेली अस्पताल की एमआरआई मशीन में जांच कराने को अपना विकल्प बना लेते हैं।

अक्सर खराब रहती है मशीन

बेली अस्पताल की एमआरआई मशीन में रोजाना 12 से 15 लोगों की जांच की जाती है। यह सामान्य जांच की संख्या का डेढ़ गुना है। स्टाफ का कहना है कि एसआरएन अस्पताल में जांच नहीं होने पर वहां के मरीज भी यहां आते हैं। ऐसे में उनकी वजह से लोड बढ़ जाता है। यही कारण है कि आए दिन मशीन खराब हो जाती है। पिछले दिनों अधिक लोड की वजह से यहां एमआरआई जांच बंद हो गई थी। बाद में दिल्ली से मंगाकर पार्ट बदलवाया गया। बेली अस्पताल में इस समय एमआरआई जांच कराने के लिए 15 दिन से एक माह तक वेट करना पड़ रहा है, जोकि एसआरएन अस्पताल के मुकाबले काफी कम है।

प्राइवेट में आसान नहीं जांच कराना

शहर में प्राइवेट केंद्रों पर भी एमआरआई मशीन लगाई गई है, लेकिन यहां जांच कराना सबके बस की बात नही है। क्योंकि निजी केंद्रों पर एक बार जांच कराने का सात से दस हजार रुपए तक लगता है। वही बेली और एसआरएन अस्पताल में एमआरआई जांच की फीस ढाई से पांच हजार रुपए अधिकतम है। बीपीएल मरीजों की यहां निशुल्क जांच की जाती है। कई बार पैसे खर्च करने से बचने के लिए कई वीआईपी भी सरकारी अस्पतालों में एमआरआई जांच कराते हैं। इससे भी मरीजों की भीड़ और वेटिंग में इजाफा होने लगता है।

बहुत जरूरी है दूसरी मशीन

प्रयागराज यूपी का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला जिला है, ऐसे में यहां पर स्वास्थ्य संबंधी संसाधनों की अधिक जरूरत पड़ती है। वर्तमान में केवल दो सरकारी अस्पतालों में ही एक-एक मशीन लगाई गई है, जो कि नाकाफी है। जानकारों का कहना है कि यहां पर एक और मशीन अतिरिक्त लगाई जानी चाहिए। हालांकि एसआरएन अस्पताल की ओर से शासन को दूसरी मशीन लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है जो अभी वेटिंग में है। अगले साल होने वाले महाकुंभ के मददेनजर भी एक अतिरिक्त मशीन की आवश्यकता दर्शाई गई है।

बुधवार से एमआरआई मशीन में जांच शुरू करा दी गई है। इस समय लोड बढ़ा हुआ है। दूसरे अस्पताल के मरीज भी यहां जांच कराने आते हैं। इस कारण अक्सर कोई न कोई खराबी आ जाती है।

डॉ। एके अखौरी, अधीक्षक, बेली अस्पताल प्रयागराज