प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शासन में दिवाकर नाथ त्रिपाठी के द्वारा शुआट्स में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत की गई थी। बताते हैं कि इस शिकायत की शासन द्वारा गहन गहन गोपनीय जांच कराई गई। इस जांच में शासन से की गई शिकायत सच साबित हुई। इसके बाद तत्काल पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ नावेन्दु कुमार को गिरफ्तारी के आदेश दिए गए थे। आदेश के अनुपालन में एसटीएम टीम के साथ पुलिस उपाधीक्षक नावेंदु द्वारा शुआट्स के अशोक संदीप सिंह व कार्यालय सुप्रीटेंडेंट सर्वजीत हरबट प्रति कुलपति के खिलाफ थाना नैनी में केस दर्ज कराया गया। इन दोनों के खिलाफ वर्ष 1984 से 2017 के बीच 69 असिस्टेंट प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति में धांधली के आरोप लगाए गए थे। अधिवक्ताओं की मानें तो जांच में नियुक्ति पत्र पर इनके हस्ताक्षर भी मिले हैं। विवेक के द्वारा मामले से सम्बंधित दस्तावेज व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी बरामद किए गए हैं। इसी मामले में एसटीएफ व नैनी पुलिस द्वारा दोनों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। दोनों अभियुक्तों की जानत के लिए उनके अधिवक्ता द्वारा डीजे कोर्ट में जमानत अर्जी पेश की गई थी। उन दोनों की जमानत का कोर्ट में जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी द्वारा धुर विरोध किया गया। विवेचकों द्वारा जुटाए गए साक्ष्य व कब्जे में लिए दस्तावेज भी उन्होंने कोर्ट में प्रस्तुत किया। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने व उपलब्ध पत्राविधयों एवं साक्ष्यों को देखते हुए डीजे ने जमानत का आधार अपर्याप्त पाया। इसके बाद उन्होंने दोनों अभियुक्तों की जमानत अर्जी निरस्त कर दी।

शुआट्स में हुई नियुक्ति में धांधली करने वाले दो अभियुक्तों की जमानत का मेरे द्वारा विरोध किया गया। कोर्ट में तमाम साक्ष्य व सुबूत भी इसके लिए पेश किए गए। जिसके आधार पर अभियुक्त अशोक संदीप सिंह व सर्वजीत हरबट प्रति कुलपति शुआट्स की जमानत कोर्ट ने निरस्त कर दिया है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी