प्रयागराज ब्यूरो ह घटना कोरांव में 27 जून को हुई थी। मारे गए द्वारिका प्रसाद की मां रामसखी के द्वारा पुलिस को तहरीर दी गई। उसने बताया था कि समधी सीताराम व उनके दो बेटे ननकऊ और छोटा बेटा पुत्र द्वारिका को बाइक से इलाज के लिए ले जा रहे थे। इसी बीच सुनियोजित तरीके से उसके बेटे द्वारिका पर अटैक कर दिया गया था। हमलावरों के जरिए लाठी और डंडे से उसकी बेरहमी से पिटाई की गई थी। उनकी पिटाई से उसका द्वारिका की मौत हो गई थी। हत्या के बाद उसकी बॉडी को परिवार से छीनकर आरोपित अपने दरवाजे की तरफ खींच ले गए थे। विरोध व बचाव में पहुंचे परिवार को भी धमकी दी गई थी। इस इस घटना से पूरे परिवार में कोहराम मच गया। पुलिस द्वारा बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया था। तहरीर के आधार पर कोरांव पुलिस द्वारा कुल 19 आरोपितों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था। बारह आरोपितों की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा प्रभारी जिला जज चंद्रपाल की कोर्ट में जमानत अर्जी प्रस्तुत की गई थी। जमानत प्रार्थना पत्र पर हुई सुनवाई के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी द्वारा अभियुक्तों की जमानत का विरोध किया गया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह एक ब्रूटल मर्डर का केस है। अभियुक्तों को जमानत दिए जाने पर केस के गवाहों पर असर पड़ सकता है। तमाम तर्कों व साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने सभी रामसहाय, रागिनी, संजय, मदन लाल विश्वकर्मा, नीबू लाल, बेनी माधव, राज कुमार विश्वकर्मा, मोहित उर्फ मोहित लाल विश्वकर्मा, धर्मकली उर्फ पन्ना देवी, कुसुम देवी, पुनीता व सविता की जमानत अर्जी खारिज कर दिया।


अभियुक्तों की जमानत का विरोध करते हुए तथ्यों व घटना की गंभीरता के बारे में कोर्ट को अवगत कराया गया। तर्कों को सुनने व साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने सभी एक दर्जन अभियुक्तों की जमानत अर्जी खारिज कर दिया।
गुलाबचंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी