प्रयागराज (ब्यूरो)। लखनऊ के नाका हिण्डोला थाने में दर्ज मुकदमे के मुताबिक किरन तिवारी पति हिन्दू नेता कमलेश तिवारी के साथ प्रथम तल कार्यालय में बैठी हुई थीं। इस बीच दो अज्ञात लोग पहुंचे तो वह उठकर अंदर के कमरे में चली गईं। इस बीच उन दोनों ने हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की चाकुओं से गोद व गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस द्वारा घटना की रिपोर्ट दर्ज करके विवेचना शुरू की गई। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ने बताया कि दौरान विवेचना प्रकाश में आया कि असफाक और मोइनुद्दीन ने हिन्दू नेता की हत्या की थी। विवेचना में जो तथ्य प्रकाश में उसके मुताबिक सैय्यद आसिम अली ने सह अभियुक्तों के साथ मिलकर कत्ल की साजिश रची थी। साथ ही उसने कातिलों को संरक्षण भी दिया था। सैय्यद आसिम अली की ओर से लखनऊ के अपर शत्र न्यायालय में प्रथम जमानत अर्जी डाली गई थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश पर प्रकरण प्रयागराज की अदालत में आ गया। यहां अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत में आरोपित द्वारा जमानत के लिए दूसरी अर्जी दी गई। इस अर्जी का डीजीसी द्वारा प्रबल विरोध किया गया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कमलेश तिवारी की बॉडी के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चाकू के नौ व गोली के एक जख्म मिले हैं। साजिशकर्ता सैय्यद आसिम अली ने यूट्यूब पर वीडियो डालकर उन्हें जान से मारने की धमकी थी। इसलिए अभियुक्त को जमानत दिया जाना न्याय हित में नहीं होगा। उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अपर शस्त्र न्यायाधीश प्रथम ने उसकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
लखनऊ में हुई यह घटना नृशंस और जघन्य किस्म की है। मामले में अभियुक्तों के खिलाफ मौजूद पुख्ता सुबूतों के आधार पर उसके द्वारा दी गई जमानत अर्जी का प्रबल विरोध किया गया। कोर्ट ने उसकी अमानत अर्जी खारिज कर दी है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी