प्रयागराज (ब्‍यूरो)। रोड पर वाहन ड्राइविंग के वक्त यहां बैड एटीट्यूट बेस्ट समस्याएं एक्सीडेंट का कारण बन रही हैं। इस लापरवाही या जल्दबाजी में हुए हादसों का दर्द मरने वाले व्यक्तियों के परिवार को आजीवन सहना पड़ता है। एक नवंबर से चल रहे यातायात माह में फिलहाल चेकिंग और जागरूकता दोनों ही काम सुस्त है। इस हालात को देखते हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शहर के व्यापारियों व अधिवक्ताओं से हादसों में कमी लाने के तरीकों पर बात की। इस बीच सभी ने सड़क सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए जागरूकता पर जोर दिया। कहना था सड़क सुरक्षा एक बड़ी समस्या है। इस जंग जीतने के लिए सिर्फ नवंबर यातायात माह में ही नहीं, हमेशा जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

875 रोड एक्सीडेंट हुए सितंबर महीने तक
385 लोगों की हादसों में सितंबर तक हुई मौत
598 लोग हादसों में हुए गंभीर रूप से घायल
19 चौराहों पर लगे हैं ई-चालान वाले कैमरे
204 प्रमुख चौराहों पर लगी है चेकिंग ड््यूटी

एक गलती में गई 385 लोगों की जान
शहरी सीमा के अंदर भी आए दिन हादसे हो रहे हैं। जबकि यहां ट्रैफिक रूल्स तोडऩे वालों वाहनों के चालान की व्यवस्था। ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो सिटी क्षेत्र में 204 चार प्रमुख चौराहे चिन्हित किए गए हैं। जहां पर चालान और पुलिसिंग की आवश्यकता महसूस की गई है। इन चौराहों पर प्रति दिन चेकिंग के लिए ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी लगाई जाती है। जवानों के जरिए स्मूथ ट्रैफिक संचालन से लेकर चेकिंग और कार्रवाई तक की कार्रवाई का काम करते हैं। इनमें 19 चौराहे ऐसे हैं जहां पर विभाग के जरिए हाईटेक कैमरे लगाए गए हैं। इन चौराहों पर ट्रैफिक रूल्स तोड़ते ही कैमरों से ऑनलाइन चालान की व्यवस्था है। इस हाईटेक व्यवस्था के बावजूद यहां फिजिकल जवानों की भी ड्यूटी सुबह और शाम लगाई जाती है। बताते हैं कि शेष चौराहों पर प्रति दिन रूटीन वे में जवानों की ड्यूटियां लगाई जा रही हैं। बावजूद इसके यहां हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक्सीडेंट के आंकड़ों पर गौर करें तो सितंबर महीने तक जिले में 875 रोड एक्सीडेंट हुए। इन हादसों में 385 लोगों की अकारण मौत हो गई। जिनकी जान ट्रैफिक रूल्स का पालन करके चालक बता सकते थे। इतना ही नहीं 598 लोग ऐसे रहे जिन्हें इन हादसों में गंभीर चोटें आई हैं।

वाहन पर कार्रवाई से ज्यादा जरूरी है कि चालकों को जागरूक किया गया। जब तक ट्रैफिक रूल्स के प्रति लोग जागरूक नहीं होंगे। सड़क सुरक्षा को लेकर कोई भी प्लान कार्रवाई के डर से सक्सेस नहीं बनाया जा सकता। रोड पर सेफ्टी की भावना लोगों के अंदर पैदा करनी होगी।
राजेश गुप्ता, डायरेक्टर साईं धाम ग्रुप

एक नवंबर से ही यातायात माह चल रहा है। पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वह एक टीम गठित करें। वह टीम शहर के चौराहों व मार्केट में कैंप लगाकर ट्रैफिक रूल्स के फायदे व नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करें। यह काम सिर्फ इसी महीने में नहीं।
सुशांत केसरवानी, जिलाध्यक्ष व्यापार मण्डल प्रयागराज

बढ़ते हादसों में हो रही मौत एक गंभीर चिंता का विषय है। हादसों में कमी लाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर पहल करके हर किसी को जागरूक करना होगा। जागरूकता ही एक रास्ता है जिससे हादसों में कमी आ सकती है। इसमें सामाजिक संस्थाएं कॉलेज, स्कूल व कोचिंग के छात्रों को भी शामिल किया जाय।
दिनेश सिंह, जिलाध्यक्ष इंडियन बुलियन एण्ड ज्वैलर्स एसोसिएशन

यातायात माह में सिर्फ वाहनों की चेकिंग और चालान से इस एक महीने के अभियान का मकसद पूरा नहीं होगा। इसके लिए ट्रैफिक रूल्स तोडऩे पर कार्रवाई जो करने है अफसर करें, मगर जागरूक भी करें। शहर में नियमों के फायदे व नुकसान के जगह-जगह बोर्ड लगाए जाय। यह बोर्ड बड़ी मार्केट, स्कूल व कॉलेज एवं कोचिंग के पास जरूर लगवाएं।
उज्ज्वल टण्डन, व्यापारी चौक

एक्सीडेंट जैसी घटनाएं ज्यादातर ड्राइविंग करने वालों की लापरवाही से होते हैं। इसमें कमी लाने के लिए ट्रैफिक रूल्स के प्रति लोगों को प्रॉपर जागरूक किया जाय। किसी एक महीने में चंद दिनों की जागरूकता से हालात में तब्दीली नहीं हाएगी। अभिभावकों के साथ बैठकें करके उन्हें भी सजेस किया जाय।
पंकज त्रिपाठी, एडवोकेट हाईकोर्ट

चौराहों पर चेकिंग और कार्रवाई के लिए जवानों की ड््यूटियां बराबर लगाई जा रही है। जहां तक रहा सवाल जागरूकता का तो टीम गठित की गई है। जल्द ही चौराहों व स्कूलों में ट्रैफिक रूल्स के प्रति लोग व छात्र जागरूक किए जाएंगे.्र
अमित कुमार, ट्रैफिक इंस्पेक्टर