प्रयागराज ब्यूरो ।धर्मा अ लर्निंग फाउंडेशन अब तक आटिज्म को लेकर जागरूकता अभियान
चलाया है। इस बार फाउंडेशन समाज के लोगों को यह संदेश देते हुए जागरूक करने की पहल कर रहा है कि न्यूरो ड्राइवर्स बच्चों को समझे और उन्हें अलग नजरिए से न देखें ओर अपने बच्चों को समझाएं। धर्मा अ लर्निंग फाउंडेशन को फाउंडर भाष्कर मिश्रा ने बतायाकि ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं बल्कि अवस्था है। एंस्टिन न्यूटन मोजार्ट जैसे बड़े-बड़े साइंटिस्ट और म्यूजिशियन भी इस अवस्था में रह चुके हैं और दुनिया में अपनी अलग सोच का लोहा मनवा चुके हैं। देश में जागरूकता की कमी के कारण न तो स्कूल में इन बच्चों को सही तरह से शिक्षा मिल पाती है न ही इनकी प्रतिभा को समझ पाते हैं। भारत में हर साल इसके दस लाख से ज्यादा मामले आते हैं। इस बीमारी को लेकर अभी भी जागरूकता नहीं है।
ऑटिज्म क्या है?
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर दिमाग से जुड़ी बीमारी है। इसमें एक व्यक्ति दूसरे के साथ मेलजोल ठीक से नहीं कर पाता है। इसी बीमारी में बच्चे को दूसरे से मिलने-जुलने में बड़ी दिक्कत होती है। इसे सामाजिक संपर्क से जोड़कर देख सकते हैं। इस बीमारी के लक्षण बचपन में ही दिखने लगते हैं। जो लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्हें डिप्रेशन, चिंता, सोने में कठिनाई समेत कई परेशानियों को झेलना पड़ता है।
ऑटिज्म के लक्षण
खुद को नुकसान पहुंचाना
बिना सोच-समझे जल्दबाजी करना
लगातार कुछ करने से खुद को रोक न पाना
घ्यान देने में कठिनाई य बहुत कम चीजों में गहरी रुचि
आवाज में बदलाव, आवाज से परेशानी होना
चिंता या पेशी संकुचन
हर साल संयुक्त राष्ट्र एक विशिष्ट ऑटिज्म-संबंधित मुद्दे को उजागर करने और दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाने के लिए विषय चुनता है। विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस 2024 का विषय है, आटिस्टिक आवाजों को सशक्त बनाना।
ऑटिज्म की चिकित्सा
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। हालांकि कई उपचार एएसडी से पीडि़त बच्चों को नए कौशल हासिल करने और विभिन्न प्रकार की विकासात्मक चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकते हैं। इन उपचारों का लक्ष्य एएसडी को ठीक करना नहीं है। इसके बजाय, वे बच्चे की मेलजोल और खेलने की क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। सामान्य आटिज्म उपचारों में व्यवहार चिकित्सका, वाक भाषा चिकित्सा, खेल आधारित चिकित्सा, भौतिक चिकित्सा, व्यावसायिक चिकित्सा और पोषण चिकित्सा शामिल हैं।