- महिलाओं और पुरुषों के बीच लैंगिक समानता के बिना सतत विकास लक्ष्य हासिल करना मुश्किल

- दो सेशन में आयोजित हुए फाउंडेशन डे प्रोग्राम

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के महिला अध्ययन केन्द्र का गुरुवार को स्थापना दिवस मनाया गया। केंद्र द्वारा दो सत्रों में स्थापना दिवस मनाया गया। प्रथम सत्र ऑनलाइन रहा। जबकि दूसरा सेशन आफलाइन आयोजित किया गया। पहले सेशन में प्रोफेसर सुषमा यादव, सदस्य, यूजीसी, नई दिल्ली और पूर्व कुलपति, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, सोनीपत को अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया था। प्रोफेसर एसआई रिजवी, डीन, अनुसंधान एवं विकास, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने सत्र की अध्यक्षता की और महिलाओं के बलिदान के बारे में बात की। उन्होंने खेल और मीडिया के बीच लैंगिक भेदभाव के बारे में विस्तार से चर्चा की। इससे पहले प्रो। अनुराधा अग्रवाल, निदेशक, महिला अध्ययन केंद्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अतिथि वक्ता, मुख्य अतिथि और सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। चीफ गेस्ट प्रो। सुषमा यादव ने केंद्र को स्थापना दिवस की बधाई दी और कहा कि वर्तमान समय में महिला अध्ययन की आवश्यकता क्यों है? उन्होंने अमेरिकी और भारतीय संदर्भ में नारीवाद की चार लहरों की व्याख्या की।

सेकेंड सेशन में महाराजिन बुआ मूवी का हुआ प्रदर्शन

स्थापना दिवस पर आयोजित हुए कार्यक्रम के दूसरे सेशन में इतिहास विभाग के सम्मेलन हॉल में महाराजिन बुआ मूवी का प्रदर्शन किया गया। महराजिन बुआ इलाहाबाद के रसूलाबाद घाट पर दशकों तक शवों का अंतिम संस्कार करवाती रही थी। घाट की सारी व्यवस्था वही देखती थी। प्रो। हेरंब चतुर्वेदी ने सेकेंड सेशन में चीफ गेस्ट के रूप में सेशन की अध्यक्षता की। इससे पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रो। अनुराधा अग्रवाल ने चीफ गेस्ट और दर्शकों का स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद, डॉ धनंजय चोपड़ा ने मीडिया और सिनेमा में महिलाओं की भूमिका का उल्लेख किया। अचिंत्य मालवीय ने फिल्म निर्माण के बारे में बताया। महिला अध्ययन केंद्र के असिस्टेंट प्रोफेसर गुरपिंदर कुमार चीफ गेस्ट, संकाय सदस्यों, छात्रों और मेहमानों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ मनीषा शर्मा ने किया।